मायावती: बहुजन समाज पार्टी ने कहा है कि दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गों को मिलने वाले लगभग 50 फीसदी आरक्षण में किसी भी तरह की कटौती या छेड़छाड़ संविधान के खिलाफ है। इसमें बिना छेड़छाड़ किए ही संशोधन कर सवर्णों व अल्पसंख्यक समाज के गरीबों को भी आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जा सकता है।

बसपा मुखिया मायावती ने कहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने आरक्षण के संबंध में भ्रमित करने वाला साक्षात्कार दिया है कि सवर्णों व अल्पसंख्यक समाज के ग़रीबों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने से दलितों-आदिवासियों व अन्य पिछड़ों के आरक्षण में कटौती हो जाएगी। खासकर चुनाव के दौरान इस तरह के बयान देना सरासर गलत है।

उन्होंने कहा कि शैक्षणिक, सामाजिक व आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़ों को आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था संविधान सम्मत है लेकिन आज़ादी के बाद से विभिन्न विरोधी पार्टियों ख़ासकर कांग्रेस व भाजपा सरकारों की ग़लत नीति व कार्यप्रणाली के कारण सर्वसमाज के ग़रीबों व अल्पसंख्यक समाज के लोगों में ग़रीबी काफी बढ़ी है। इसलिए उन्हें आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भाजपा को पहले अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता बदल कर इस मामले में समुचित कार्रवाई करनी चाहिए। केवल बोलने से अब काम चलने वाला नहीं है बल्कि इस दिशा में जरूरी कदम भी उठाने होंगे।

सरकारी भर्तियां समय पर करनी होंगी, नौकरियों में खाली पदों को भरना होगा, सरकारी योजनाओं को अंधाधुंध प्राइवेट सेक्टर में देकर आरक्षण को निष्क्रिय व निष्प्रभावी बनाने की भी नीतियों में सुधार करना होगा और पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था को फिर से प्रभावी बनाने के लिए संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा में पारित कराना भी सुनिश्चित करना होगा।