ऋद्धिमान साहा के नाबाद दोहरे शतक (203) और चेतेश्‍वर पुजारा (116 नाबाद) की पारियों से शेष भारत ने गुजरात को हराकर ईरानी ट्रॉफी का खिताब जीत लिया। 379 रन के लक्ष्‍य को शेष भारत ने चार विकेट खोकर हासिल कर लिया। साहा ने मैच की चौथी पारी में जबरदस्‍त बल्‍लेबाजी करते हुए कॅरियर का पहला दोहरा शतक उड़ाया और टीम को जीत दिला दी। इस विकेटकीपर बल्‍लेबाज ने 26 चौकों और छह छक्‍कों से सजी अपनी पारी के बूते शेष भारत को यह ट्रॉफी दिला दी। उन्‍होंने कप्‍तान पुजारा के साथ पांचवें विकेट के लिए 316 रन जोड़े। एक समय शेष भारत ने 63 रन पर चार विकेट गंवा दिए थे लेकिन उसके बाद साहा-पुजारा ने बाजी पलट दी।

साहा काफी आक्रामक रंग में नजर आए। उन्‍होंने केवल 272 गेंद में दोहरा शतक पूरा कर लिया। वहीं पुजारा दूसरे छोर पर भरपूर साथ देते दिखे। उन्‍होंने 238 गेंदों में 16 चौकों की मदद से 116 रन की पारी खेली। इस मैच से पहले साहा का फर्स्‍ट क्‍लास क्रिकेट में सर्वोच्‍च स्‍कोर नाबाद 178 रन था। वहीं पिछले चार महीनों में चेतेश्‍वर पुजारा ने 82.70 की औसत से 19 पारियों में 1406 रन बनाए हैं। इसमें पांच शतक और छह अर्धशतक शामिल हैं। शेष भारत ने 28वीं बार ईरानी ट्रॉफी जीती है।

इससे पहले गुजरात ने दूसरी पारी में 246 रन बनाकर शेष भारत के सामने जीत के लिए 378 रन का लक्ष्‍य रखा था। उसे पहली पारी के आधार पर 132 रन की बढ़त मिली थी। गुजरात ने चिराग गांधी के शतक के बूते पहली पारी में 358 रन बनाए थे। इसके जवाब में शेष भारत की टीम केवल 226 रन पर सिमट गई थी। शेष भारत ने पिछले 10 साल में आठ बार यह खिताब अपने नाम किया है। केवल कर्नाटक ही एकमात्र ऐसी टीम है जिससे उसे हार झेलनी पड़ी है। कर्नाटक ने लगतार दो सत्र 2013-14 और 2014-15 में ईरानी ट्रॉफी पर कब्‍जा किया था। ईरानी ट्रॉफी की शुरुआत 1959-60 के सत्र से हुई। भारतीय बोर्ड के साथ काम करने वाले जाल ईरानी पर इस ट्रॉफी का नाम रखा गया।