स्वैच्छिक संगठनों ने जल-जंगल-जमीन पर जारी किया घोषणा पत्र

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में स्वास्थ शिक्षा जैसे राष्ट्रीय-नदी, ताल, पाल, झाल के संकट मुक्ति वाले सवालो के साथ-साथ स्थानीय सडक, बिजली, आवास आदि विषयों पर राजनैतिक दलों व उम्मीदवारों की राय जानने व चुनने की रणनीति तय करने प्रदेश भर के स्वैच्छिक संगठन आज राजधानी के गांधी भवन सभागार में जल जंगल जमीन लोक संवाद सम्मेलन में जुटे।

जलपुरुष राजेंद्र सिंह की अगुवाई में जुटे इन संगठनों ने आगामी विधानसभा चुनावों में जनता से जुड़े इन अहम मुद्दों पर अपनी रणनीति तय की। लोक संवाद सम्मेलन का आयोजन सामाजिक संगठन पानी, जल-जन
जोड़ो अभियान और एकता परिषद ने संयुक्त रुप से किया था।

सम्मेलन में बोलते हुए स्वामी अग्निवेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में गरीब के हित में सिर्फ घोषणाएं न हो क्योंकि चुनाव के समय गरीब को बेवकूफ बनाया जाता है। उन्होंने शराब बन्दी को चुनावी घोषणा पत्रों में शामिल करने की बात कही और पानी के सामुदायीकरण की मांग की। उन्होंने कहा कि इस बार के चुनावों में सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग अपना घोषणापत्र बनाएंगे और उसे लागू करने के लिए राजनैतिक दलों से कहेंगे। उन्होंने कहा कि गणतन्त्र का मतलब हम भारत के लोग और उनका अधिकार होना चाहिए।

पानी संस्थान के संस्थापक भारत भूषण ने कहा कि चुनाव हर 5 वर्ष में आता है इस अवसर पर हम सब सामाजिक संगठनों ने घोषणा पत्र तय किया है और इस लोक घोषणा पत्र को लागू करवाने के लिए सभी मिलकर प्रदेश भर में अभियान चलाएंगे। जो राजनैतिक दल जन घोषणा पत्र को महत्व नहीं देगा उन इलाकों में नोटा का प्रयोग करें, इसके लिए जागरुकता फैलाई जाए।

एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रण सिंह गरीब सिर्फ राजनैतिक दलों की घोषणा की इकाई बन गया है जबकि आज देश में भले ही विकास की बात की जा रही हो किसान और मजदूर की हालत और भी खराब हुयी है। आदीवासी और वनवासी सबसे अधिक संकट में है। उनके लिए घोषणाएं नहीं बल्कि वास्तविक स्थिति बदलने के लिए भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था देनी होगी।

जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि हमें पांच साल में मौक मिलता जब हम अपनी बातों को मनावा सकें इसलिए यह उचित समय है कि जब जल जंगल और जमीन के सवाल को लेकर राजनैतिक दलों को बेहतर योजनाओं के क्रियान्वन के लिए बाध्य किया जा सके। उन्होंने कहा क हम सब लोग इसके लिए प्रदेश भर में इस तरह का वातावरण तैयार करेंगे कि राजनैतिक दल इन बुनियादी सवालों से बच न सकें।

जाने माने भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ विभूति राय ने कहा कि उत्तर प्रदेश दुनया के पांच सबसे सघन क्षेत्रों में से एक है और यहां राजधानी के आसपास का पानी विषैला हो गया है। उन्होंने कहा कि जल एक गंभीर विषय है जिससे आमजन का स्वास्थ्य जुड़ा है। जस्टिस सुधीर सक्सेना ने कहा कि हाला यह हो गए हैं कि पानी के लिए गोलियां चलती हैं और गंगा में नहाना दुश्वार है। अंबेढकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीपी सिंह ने कहा कि हमारा आध्यात्म प्रकृति से जुड़ा है बिना प्रकृति के संरक्षण के खुशहाल जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। किताबों के पढ़ने से ज्ञान बढ़ सकता है लेकिन प्रकृति के संरक्षण के लिए जमीन पर काम करना होगा पर अब एसा युग आ गया है कि हम जल जंगल जमीन से दूर हो गए हैं।

इस मौके पर जल गुरु महेंद्र मोदी ड0जी0पी0 उ0प्र0 ने कहा कि जल संकट का समाधान तकनीकि ज्ञान और सामुदायिक और व्यक्तिगत प्रयासों से किया जा सकता है। जिसका उदाहरण उन्होंने बुन्देलखण्ड के झांसी के गांव में करके दिखाया है।

पूर्व वैज्ञानिक नरेन्द्र मल्होत्रा ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम सबको मिलकर नदी और पानी के संरक्षण के लिए काम करने की आवश्यकता है और राजनैतिक दलों को भी इस पर बात करने की आवश्यकता है।

इसके बाद पूरे प्रदेश में चलायी गयी लोक संवाद यात्रा का प्रस्तुतीकरण किया गया। जिसमें गन्ना किसानों का भुगतान, भू-गर्भीय जल का नीचे गिरता स्तर के कारण जल संकट, किसानी संकट, अन्ना पशु प्रथा, पलायन, किसान आत्महत्या, स्वच्छ पेयजल के मुद्दे निकलकर आए।

लोक संवाद कार्यक्रम के बारे में बताते हुए जल-जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि स्वैच्छिक संगठन लोगों से अपील करेंगे कि खेती, जवानी, पानी बचाने के कार्यो में जुडने वाले उम्मीदवारों को ही अपना मताधिकार दे। साथ ही तालाबों, झीलों, नदियों को प्रदूषण अतिक्रमण और भूजल शोषण रोकने का संकल्प पाकर जंगल, जंगली जीव बचाने, हरियाली बढाने वाले जलवायु परिवर्तन अनिकूलन में काम करके बाढ-सूखाड में काम करने वाले प्रतिनिधियों को विधान सभा में चुनने का संकल्प ले।

संजय सिंह ने कहा कि प्रत्येक गांव की खेती और पानी के मुददे अलग-अलग होते है। सामुदायिक जलाधिकार जो देने का वायदा राजनैतिक दल करें, इससे पूरे प्रदेश में वातावरण का सजृन हो। प्रदेश में पेयजल,स्वच्छता के लिए साझा काम करने के अवसर प्रदान करे। ऐसे ही लोगों को अपना नेतृत्व प्रदान करें।
कार्यक्रम को डा़ॅ अर्जुन पाण्डेय, अरविन्द मूर्ति, कृष्णपाल, सन्तोष, भाई महेशानन्द, संजय राय, लीलावती बहन, श्रीकृष्ण, बलिराम, एस0पी0सिंह, खालिद चौधरी आदि ने सम्बोधित किया। संतोष श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। बुन्देलखण्ड से आए लोगों ने लोकगीतों को प्रस्तुतीकरण किया। इस कार्यक्रम से प्रदेश के सभी जिलों से लगभग 1000 लागों ने सहभागिता की।