लखनऊ: केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के कर्ज पर दो माह का ब्याज माफ करने का लिया गया निर्णय आदर्श चुनाव आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। उ0प्र0 सहित कई प्रदेशों में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू है ऐसे में ऐसी घोषणाएं चुनाव को प्रभावित करने वाली है। जो किसानों के कर्ज को ब्याज माफ किया गया है वह देश भर के किसानों के लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान है और सिर्फ चुनावी लालीपाप है। उम्मीद है कि चुनाव आयोग इसका संज्ञान लेगा।

प्रदेश कंाग्रेस के महासचिव एवं प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि किसानों की कर्जमाफी को लेकर कंाग्रेस उपाध्यक्ष श्री राहुल गांधी जी के नेतृत्व में जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह जी भी शामिल थे, कंाग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से किसानों के कर्ज माफी को लेकर मुलाकात की थी, किन्तु किसानों की कर्ज की माफी तो दूर प्रधानमंत्री की तरफ से कोई आश्वासन तक नहीं मिला। आज जबकि नोट बन्दी के कारण किसानों में हाहाकार मचा हुआ है और उनका गुस्सा केन्द्र सरकार के किसान विरोधी रवैये को लेकर है, ऐसे में नोटबन्दी से हुए भारी नुकसान एवं उसकी विफलता के चलते और चुनाव में अपनी करारी हार के डर से मोदी सरकार ने किसानों द्वारा लिये गये कर्ज पर दो माह के ब्याज लगभग 600 करोड़ रूपये को माफ कर जले पर नमक छिड़कने का काम किया है, जिसकी कीमत देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को चुकानी पड़ेगी।