लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राज्य विश्वविद्यालय श्री राम नाईक ने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के दीक्षान्त समारोह में अपने मोबाईल फोन से सम्बोधित करते हुये कहा कि दीक्षान्त समारोह विद्यार्थियों के लिए जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। राष्ट्र का भविष्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में निर्मित होता है। विद्यार्थियों का कर्तव्य केवल विद्या ग्रहण करना ही नहीं बल्कि अध्ययन काल में उसे सकारात्मक दृष्टिकोण और जनकल्याण की भावना से भी संस्कारित होना भी है। शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियों को अर्जित करके ही विद्यार्थी जीवन की चुनौतियों का सामना कर सकता है। ऐसे में उच्च शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों के सामने युवाओं को राष्ट्र के महान नागरिक बनाने की चुनौती है। उन्होंने रोजगारपरक शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि उच्च शिक्षा से हमारे युवाओं को अपने उद्यम स्थापित करने की प्रेरणा मिलनी चाहिए, जिससे वे रोजगार की तलाश में न भटकें बल्कि दूसरों को रोजगार देने लायक बने।
राज्यपाल श्री राम नाईक को आज छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के दीक्षान्त समारोह में कानपुर जाना था, किन्तु खराब मौसम के कारण वे दीक्षान्त समारोह में नहीं पहुँच सके। खराब मौसम के कारण प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री श्री शारदा प्रताप शुक्ल तथा मुख्य अतिथि प्रो0 सर्वज्ञ सिंह कटियार भी दीक्षान्त समारोह में नहीं उपस्थित हो सके। राज्यपाल ने अपने मोबाईल फोन से उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं और दीक्षान्त समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित किया। राज्यपाल ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पदक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को उज्जवल भविष्य के लिए बधाई भी दी।
श्री नाईक ने कहा कि हमें विश्वविद्यालय में ऐसा माहौल बनाना होगा जो नये शोध के पक्ष में हो तथा मानव जीवन के लिये उपयोगी भी हो। हमारे शिक्षण संस्थानों को ज्ञान आधारित और प्रौद्योगिकी प्रेरित विश्व की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम से प्रेरणा प्राप्त करने के लिए युवाओं से कहा कि वे कहते थे कि सपने वे होते हैं जिन्हें खुली आँख से देखा जाता है और उन्हें पूरा करने का प्रयास किया जाता है। छात्र जिस भी क्षेत्र में जायें कठोर परिश्रम और प्रमाणिकता से स्वयं को स्थापित करें तथा माता-पिता और गुरूजनों द्वारा दिये गये संस्कार और दिशा उपदेश को सदैव स्मरण रखे। बिना संघर्ष के सफलता नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि निरन्तर चलते रहने से भाग्य का उदय होता है और सफलता प्राप्त होती है।
राज्यपाल ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस वर्ष भी छात्राओं को 77 प्रतिशत स्वर्ण पदक मिले हैं। छात्रों को सावधान होने की बात करते हुए कहा कि यह छात्रो के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि केवल 23 प्रतिशत पदक उन्हें मिले हैं। राज्यपाल ने इस बात पर भी संतोष व्यक्त किया कि विश्वविद्यालय के शैक्षिक कलैण्डर धीरे-धीरे पटरी पर आ गये हैं। प्रवेश प्रक्रिया के साथ-साथ परीक्षायें समय से हो रही हैं, परिणाम समय पर घोषित हो रहे हैं तथा दीक्षान्त समारोह भी निर्धारित समय के अनुसार आयोजित किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शैक्षिक गुणवत्ता और स्तरीय शोध बढ़ाने की चुनौती को स्वीकार करते हुये आगे भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
श्री नाईक ने अपने सम्बोधन से पूर्व तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।