रुद्रपुर। समरसता के प्रवाह में ही नवसृजन की संकल्पना साकार होगी । कौशल विकास से भारत विश्व में प्रशिक्षित मानव संसाधन का अगुआ राष्ट्र होगा। नौजवानों को रोजगार के ऐसे अवसर मिलें जिनके जरिए वह अपनी प्रतिभा -क्षमता सकारात्मक दिशा में विनियोजित कर सके। संसाधनों के समुचित प्रबंधन और उपयोग के जरिए ही सशक्त -समृद्ध देश की तरफ अग्रसर हो सकते है ।
उक्त बातें दीन दयाल उपाध्याय कौशल केंद्र, सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय द्वारा आयोजित कैरियर काउन्सलिंग और समरस भारत – समर्थ भारत परिचर्चा में मुख्य अतिथि उधमसिंह नगर की जिला सेवायोजन अधिकारी अनुभा जैन ने कही । उन्होने आगे कहा कि पेशा वो बनाईये जिसकी बाजार में मांग हो । एस. बी. आई. सेवा केंद्र की फ्रेंचाइजी, वित्तीय कंसलटेंट जैसे रोजगार के नए अवसर सृजित हुए है अपनी योग्यता अभिरुचि को परखकर आगे बढे ।
इस अवसर पर लोक मंगल की त्रैमासिक शोध पत्रिका सुमंगलम प्रभा का ‘समरस समाज दृसमर्थ’ भारत अंक का लोकार्पण हुवा । मुख्या वक्ता वरिष्ठ कवी और कथाकार प्रो शम्भू दत्त पांडे ’शैलेय’ ने कहा की सामान्य जन को कुशल -संगठित मानवीय चेतना से परिपूर्ण कर ही समरस-समर्थ भारत की परिकल्पना साकार की जा सकती है । साहित्य समाज का दर्पण होता है जिसमें सम्पूर्ण समाज के साथ अपना चेहरा हम देख पातें है । आवश्यकत है ऐसी साहित्य रचना की जो समाज को सम्यक दिशा देकर सामाजिक परिवर्तन में अपनी भूमिका निभायें । लोक मंगल की त्रैमासिक शोध पत्रिका सुमंगलम प्रभा का समरस समाज दृसमर्थ भारत अंक इस दृष्टिकोण से अपनी भूमिका बखूबी निभा रही है । आर्थिक विषमता के कारन ही सामाजिक विषमता आयी और श्रमशील समाज रोटी, रोजी, कपड़ा, शिक्षा और दवाई जैसी मुलभुत आवश्यकता से वंचित हो गया। हर एक मनुष्य की प्रतिभा-क्षमता और कर्मठता के अनुसार राष्ट्रीय उत्पादन का भाग मिलना चाहिए। युवा कौशल -सामर्थ्य को बढ़ाते हुए ‘समरस समाज-समर्थ भारत’ बनाने का संकल्प ले ।
अशोक ली लैंड के डिविजनल मैनेजेर निखिलेश शांडिल्य ने कहा की भारत में सबसे ज्यादा अवसर उपलब्ध है । कौशल दक्षता के साथ कम्युनिकेशन प्रेजेंटेशन स्किल्स पर जोर देने की जरुरत है । कम्पनियाँ दक्ष कुशल युवाओं को आमंत्रित कर रही है परन्तु आत्मविश्वास से भरे प्रशिक्षित युवा नहीं मिल पा रहें है । जरुरत है अपने कौशल ज्ञान को अपडेट करते रहने की ।

मेक्रोमैक्स के नागेन्द्र कुमार ने कहा की इंडस्ट्री की मांग के अनुसार युवाओं को प्रशिक्षित कौशल केंद्र करें तो इंडस्ट्री का प्रशिक्षण व्यय बचेगा और युवाओं का समय। देवभूमि की महिला दस्त्कारिता, महिला स्वयं सहायता समूहों-आर्थिक सशक्तिकरण महिला उद्यमिता को प्रोत्साहित करनेवाली योजनायें धरातल पर उतरनें की आवश्यकता है ।

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसन्धान परिषद् के वरिष्ट वैज्ञानिक डॉ बलवीर सिंह ने कहा की हुनर रखने वाला व्यक्ति बेरोजगार नहीं हो सकता है । कृषि की विभिन्न विधाओं के समावेश (पशुपालन , मत्स्यपालन एवम् कुक्कुट पालन , नर्सरी ,सब्जी इत्यादि) द्वारा स्वरोजगार करते हुए नवयुवक अच्छी आमदनी करते हुए अपने जीवन स्तर में सुधार कर दुसरे को भी प्रेरणा दे सकते है । सिखाने की इच्छाशक्ति और कार्यकरने की कुशलता हो तो हम स्वरोजगार के तहत दुसरे को भी रोजगार दे सकते है । बढाती जनसंख्या के दौर में स्वरोजगार अपनाकर ही बेरोजगारी की समस्या का समाधान निकला जा सकता है । इसके लिए सरकारी योजनाओं की जानकारी और उनका समुचित उपयोग सफलता दिलायेगी ।

अशोक ली लैंड के मैनेजेर प्रियांक भट्ट ने ने कहा इंटर्नशिप कौशल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । सिडकुल की कामपनियों से टाईअप करके कौशल केन्द्र के छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान कर रोजगार के अवसर सृजित किया जा सकता है । इसके लिए इंडस्ट्री और एकेडमिक सम्बन्ध प्रगाढ़ हो और कम्पनियाँ अपनी कार्पोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी को निभायें । रोजगार के नए अवसरों का सृजन कर सकने की क्षमता तेजी से बढ़ानी होगी।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जगदीश प्रसाद ने कहा की आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए कौशल प्रशिक्षण और रोजगार सृजन प्रेरक होते है । रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए एक ओर तो नए-नए उद्योग-धंधे चाहिए, और दूसरी ओर उनमें काम करने के इच्छुक युवाओं में काम करने की कुशलता । रोजगार के लिए उपयुक्तह कौशल प्राप्त युवा परिवर्तन के प्रतिनिधि हो सकते हैं जो न केवल अपने जीवन को प्रभावित करने के काबिल होंगे बल्कि दूसरों के जीवन में भी बदलाव के वाहक बनेगें ।

कौशल केंद्र के निदेशक डॉ योगेश कुमार शर्मा ने कहा की रोजगार के सही अवसर प्रदान कर ही युवाओं की प्रतिभा दृक्षमता सकारात्मक दिशा में विनियोजित किया जा सकता है । उत्तराखंड में बढ़ते पर्यटन को आय के स्त्रोत में तब्दील कर व निर्माण आदि कार्यों में पारदर्शिता लाकर समस्याओं का त्वरित व श्रेष्ठ निवारण किया जा सकता है। उत्तराखंड में पर्यटक व पर्यटन जनित रोजगार ही पर्वतीय क्षेत्र की रोजी रोटी चल सकती है । प्राकृतिक संसाधानों का उचित उपयोग न हो पाने के कारण ही पहाड़ी क्षेत्रों से युवा तेजी से मैदान की ओर पलायन कर रहे हैं।

विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार ने कहा की रोजगार के नए अवसरों का सृजन करने की क्षमता तेजी से बढ़ाकर ही बेरोजगारी को दूर किया जा सकता है । जीवन के हर मोड़ पर चुनौती का सामना करना पड़ता है ऐसी स्थिति में प्रमाण पत्र प्राप्त कर बैठ जाना जीवन में ठहराव ला देता हैं और ठहराव से दक्षता कुंद हो जाती है। आवश्यकता इस बात की है कि प्रशिक्षण प्राप्त युवा अपनी दक्षता में उत्तरोत्तर सुधार करते रहे।

संचालन करते हुए संयोजक डॉ हरनाम सिंह ने आह्वान किया की सिडकुल की कम्पनियाँ कौशल केंद्र को गोद ले और समय -समय पर आकर यहाँ के छात्रों को अपने यहाँ समायोजित करती रहे । प्रतिभावान, नवीन विचारों से पूर्ण युवाओं के अभिनव विचारों का समुचित उपयोग कर ही रोजगार सृजन की संभावनाओं का दोहन किया जा सकता है।

काउन्सलिंग में प्रमुख रूप से अशोक ली लैंड, भगवती सर्विसेज के काउंसलर के साथ अमित कुमार सिंह, रूद्र देव , हितेश जोशी ,वेद विश्वकर्मा , प्रियंका , मंजू पाण्डेय उपस्थित रहे जिसमे सभी छात्र-छात्राओं ने कैरियर विकल्पों के साथ जिज्ञासाओं का समाधान किया ।