लखनऊ: सत्संग से विवेक मिलता है। विवेक से अच्छा वर्तन और वर्तन से एक अच्छे चरित्र का निर्माण होता है। इसके लिए सत्संग बहुत जरुरी है। जब ऐसा हो जाएगा तो राम चरित मानस (रामायण) घर में नहीं रहेगी। बल्कि घट-घट (मन) में रहेगी। यह विचार शनिवार को सेवा अस्पताल परिसर में कथा वाचर मोरारी बापू ने श्रोताओं के सामने व्यक्त किए।

प्रेमयज्ञ कथा समिति की ओर से सीतापुर रोड स्थित सेवा अस्पताल परिसर के विशाल पांडाल में इस कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा वाचक मोरारी बापू ने यहां पर शनिवार को राम चरित मानस के अरण्य काण्ड के प्रसंगों को विस्तार से बताया। उन्होंने रामायण के सभी सोपान की जानकारी श्रोताओं को दी। रामचरित मानस ग्रंथ का परिचय बताया और उसे जीवन में धारण करने को कहा।
रामकथा धर्मशाला नहीं प्रयोगशाला

मोरारी बापू ने कहा कि रामकथा धर्मशाला नहीं है। बल्कि प्रयोगशाला है। कथा साधना नहीं लक्ष्य है। रामकथा सुनने मात्र से लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं। उसे जिसने जीवन में धारण कर लिया, वह सामान्य मनुष्य नहीं रहेगा। मोरारी बापू राम चरित मानस के अरण्य काण्ड प्रसंगों पर अपनी कथा चार दिसंबर तक सुनाएंगे।

शिव-पार्वती संवाद

मोरारी बापू ने सैकड़ों देश-विदेश से आए श्रोताओं को शिव-पार्वती संवाद सुनाया। उन्होंने चौपाई गावत संसत शंभु भवानी… के जरिए भगवान शिव-पार्वती के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंनेरुद्रवीणा के बारे में बताया। नारद जी हमेशा साथ लिए रहते थे। यज्ञोपवीत जनेऊ के बाद इसे धारण किया जाता है। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास चल रहा है कि भगवान हनुमान जी के हाथों में गदा के बजाए रुद्रवीणा पकड़वाई जाए।
राम चरित मानस को सभी ग्रंथों का गुरु बताया। रामायण की हर चौपाई संगीतमय है। लोग चौपाई पढ़ने पर आनंदित होते हैं।
जब वह छोटे थे, तब परिवारीजन उनसे मना कर देते थे। गांव का एक लड़का मिला तो उससे जो चौपाई सुनी तो उसने बताया कि सुनते-सुनते संगीतमय चौपाई निकलने लगी।

सभी ग्रंथों, विधा का निचोड़ रामायण है। इसको यदि किसी भी व्यक्ति ने अपने जीवन में उतार लिया तो निश्चय ही वह जीवन के उच्च शिखर पर पहुंच जाएगा। जीवन की सभी कठिनाइयों के उत्तर रामायण में मौजूद हैं। चार दिसंबर तक रोजाना कथा सुबह 9:30 बजे से डेढ़ बजे तक होगी। उसके बाद भंडारे में प्रसाद वितरण किया जाएगा।