नई दिल्ली: भारत के सबसे बड़े मुस्लिम छात्र संगठन मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया यानी एमएसओ ने केन्द्र सरकार के ज़ाकिर नाइक के संगठनों पर प्रतिबंध लगाए जाने के निर्णय का स्वागत किया है।

यहाँ जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में संगठन के राष्ट्रीय महासचिव शुजात अली क़ादरी ने कहाकि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ज़ाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फ़ाउंडेशन पर पाँच साल के प्रतिबंध का जो निर्णय लिया है, वह स्वागत योग्य क़दम है। इससे युवाओं में ज़ाकिर नाइक के प्रति अलगाव पैदा होगा और युवा वहाबी विचारधारा के ख़तरों से आगाह हो पाएंगे।

क़ादरी ने कहाकि ज़ाकिर नाइक सऊदी अरब के पेट्रोडॉलर से वहाबी विचारधारा को भारत में स्थापित करने में संलिप्त हैं और उनकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फ़ाउंडेशन की कारगुज़ारियाँ शुरू से संदिग्ध रही हैं। कादरी ने कहाकि भारत के सबसे बड़े और सूफ़ी विचारधारा के छात्रों के संगठन के नेता की हैसीयत से उन्होंने समय समय पर सरकार और योग्य संस्थाओं को आगाह किया था कि ज़ाकिर नाइक के भाषणों और गतिविधियों पर रोक लगाया जाना ना सिर्फ़ भारत की आंतरिक सुरक्षा बल्कि मुस्लिम युवाओं को बचाने के लिए भी आवश्यक है। इस बारे में पिछली यूपीए सरकार ने कोई ग़ौर नहीं किया लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस पर विचार कर ज़ाकिर नाइक की संस्था पर प्रतिबंध लगाकर देशहित का कार्य किया है।

हालांकि शुजात क़ादरी ने इस प्रतिबंध को पाँच वर्ष की बजाय आजीवन करने की माँग की साथ ही ज़ाकिर नाइक पर देशद्रोह की धाराओं में मुक़दमा क़ायम कर योग्य न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत करने की माँग की। क़ादरी ने कहाकि जिस प्रकार मोदी सरकार ने देशहित के विरुद्ध कार्य करने के लिए ज़ाकिर नाइक की संस्था पर बैन लगाया है, उसी प्रकार उन्हें उन संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाकर मुक़दमा क़ायम करने की माँग की जो मुस्लिम नागरिकों की हत्या, शोषण और अपराध में संलिप्त हैं।