लखनऊ: नोटबन्दी से उत्पन्न जनसामान्य की समस्याओं के प्रति मोदी सरकार की उपेक्षात्मक रवैये के विरुद्ध समाजवादी चिन्तक, समाजवादी चिन्तन/बौद्धिक सभा के अध्यक्ष, सपा सचिव व प्रवक्ता दीपक मिश्र की अगुवाई में समाजवादियों ने सत्याग्रह, उपवास व भिक्षाटन कर अपना विरोध दर्ज कराया। भिक्षुक टोली का कुछ व्यापारियों ने स्वागत कर समर्थन किया तो कुछ व्यापारियों ने यह कहकर भीख देने से मना कर दिया कि मोदी सरकार के कारण उनका दैनिक व्यापार चौपट हो गया है, वे मोदी के नाम पर एक पैसा नहीं देंगे।

भिक्षाटन-अभियान की शुरुआत हजरतगंज स्थित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा से हुई। पहली भिक्षा पानी बताशा बेचने वाले नीलेश ने दीपक मिश्र की कश्कोल (भीख के कटोरे) में 10 रुपये डालते हुए दी। यूनीवर्सल, साहू मार्केट, जनपथ, दारुलशफा व कैपिटल के व्यवसायियों ने खुल कर नोटबंदी के लिए केन्द्रीय सरकार की आलोचना व लानत-मलानत की। छोटू चाट वाले ने सत्याग्रहियों को बुलाकर न केवल भीख दिया, साथ में फोटो खिंचाकर फेसबुक पर अपलोड कर समर्थन बात कही अपितु सबको निःशुल्क चाट खिलाने की पेशकश भी की जिसे उपवास के कारण सत्याग्रहियों ने मना कर दिया। साहू सिनेमा के सामने मोमो बेचने वाले अंकुर ने कटोरे में मोमो डाला क्योंकि सुबह से उसकी बिक्री नहीं हुई थी। मूंगफली बेचने वाले दिलीप ने मूंगफली कटोरे में डाली, उसकी सुबह से एक भी मूंगफली किसी ने नहीं खरीदी थी। एक सब्जी बेचने वाली महिला सत्याग्रहियों के सामने रोने लगी। तीनों के पास सुबह से बिक्री न होने के नाते एक भी रुपया नहीं था। पुलिसकर्मियों ने पर्स दिखाकर कहा कि बैंक में पैसे नहीं है, खुद ही हालत पतली है। भीख देने की इच्छा है, पर पैसे ही नहीं हैं। एक व्यापारी आक्रोश व आवेशवश मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने लगा तो समाजवादियों ने टोकते हुए कहा कि हमारी लड़ाई नीतिगत है, व्यक्तिगत नहीं।
एक वास्तविक महिला भिखारी की खराब हालत देखते हुए दीपक ने कटोरे में पड़े सभी रुपये दे दिए और कहा कि यही हाल ‘‘भारत माता’’ का है। इस पर समर्थकों ने ‘‘भारत माता की जय’’ और ‘‘मोदी हटाओ-देश बचाओ’’ के नारे भी लगाए।

भिक्षुक टोली 3 बजे के करीब जीपीओ पार्क स्थित शहीद स्तम्भ पर पहुंची जहां सभा का आयोजन हुआ। अपने सम्बोधन में दीपक मिश्र ने कहा ‘‘सर्वविदित है कि भारतीय समाजवादी गणतंत्र के प्रधानमंत्री महाराज नरेन्द्र दामोदरदास मोदी ने सम्पूर्ण चलन में 85 फीसदी का योगदान रखने वाली 500 व 1000 की नोटों पर अचानक प्रतिबन्ध लगाकर देश में आर्थिक आपातकाल व अव्यवस्था की अवांक्षनीय एवं अतिरंजित स्थिति ला दी है। अकेले उत्तर प्रदेश में लगभग पचास से अधिक लोग काल कवलित हो चुके हैं। मोदी जी ने वही काम उसी तरह से किया है जो काम जिस तरह से 14वीं शताब्दी में मुहम्मद बिन तुगलक और मंगोल (पर्सिया) शासक गेखाटू ने किया था। वे कार्यप्रणाली के दृष्टिकोण से तुगलक व गेखाटू के अवतार प्रतिबिम्बित होते हैं। ईमानदार और गरीब व्यक्ति अपने जरूरी काम छोड़कर अपने ही मेहनत की कमाई प्राप्त करने के लिए घण्टों लाइन (पंक्ति) में लगने के लिए अभिशप्त है। मोदी जी की सरकार आर्थिक व वैदेशिक मामलों में पूर्णतया असफल सिद्ध हुई है। इसी वर्ष 10.6 अरब डालर का कर्ज बढ़ा है। भारत के ऊपर कुल विदेशी कर्ज मार्च 2016 में 485 अरब डालर की सीमा रेखा पार कर चुका था। भारत सरकार का इस समय घरेलू ऋण सकल घरेलू उत्पादन का 69 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। देश विकासशील देशों के क्रम में भी पिछड़ता जा रहा है। मानव विकास सूचकांक में भारत 129 देशों से बाद है। प्रतिव्यक्ति आय के दृष्टिकोण से भारत से 139 देश आगे हैं। चीन से गत ढाई वर्षों में मोदी जी ढाई इंच जमीन भी वापस नहीं ला सके। वह अभी भी हमारी 46 हजार 735 वर्ग किमी पर कब्जा जमाए इतरा रहा है। डेमचोक में नहर की खुदाई चीन ने रुकवा दी मोदी जी एक शब्द नहीं बोले। भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता और हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने जैसे संवेदनशील मामलों में मोदी सरकार जहाँ से चली थी, वहीं ठहरी हुई है।

मोदी जी ने ऐसे जरूरी व बुनियादी मुद्दों से जनमानस का ध्यान हटाने के लिए एक नया शिगुफा नोटबंदी छेड़ दिया। विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ पंक्तियों में हैं। किसान बुवाई के वक्त क्रयशक्ति की कमी के कारण बीज, कीटनाशक, उर्वरक तक नहीं खरीद पा रहे हैं, वह भी खेतों की बजाय बैंक या साहूकार के आगे गिड़गिड़ा रहा है। जब पूरे देश में करुण क्रन्दन सुनाई दे रहा है, तो मोदी जी कभी जापान तो कभी गोवा में झलक दिख रहे हैं। मोदी सरकार का व्यवहार रोमन राजा नीरो और उनके सामंतो जैसा हो गया।

मैं स्वयं देश के सवा अरब आबादी की तरह ईमानदारी के कारण गरीब रहा, अब तो मोदी जी की तानाशाही अर्थनीति के कारण भिखारी बनने के लिए बाध्य हूँ। आज केन्द्रीय सरकार अमानवीय आर्थिक नीति एवं बिना आम जनता की समस्याओं को ध्यान में बिना रखे किए गए आकस्मिक विमुद्रीकरण के प्रतिकार स्वरूप आम जनता के दुःख-दर्द-दंश-दलन को स्वर देते हुए सतत सत्याग्रह, उपवास एवं भिक्षाटन की घोषणा करता हूँ। भिक्षाटन से अर्जित राशि एवं उपवास से बचे अन्न को हम समाजवादी लोग उन तक पहुँचायेंगे जो मोदी जी की तानाशाही के कारण जीते जी नारकीय जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं।’’

लुआक्टा के अध्यक्ष डा0 मनोज पाण्डेय ने कहा कि अचानक नोटबंदी से शिक्षकों की स्थिति काफी खराब हुई है। सभा को यूपी नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष अमित जानी, लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष विजय यादव, देवी प्रसाद यादव, गिरीश द्विवेदी, छात्र नेता प्रभात मिश्रा, सौरभ पाण्डेय, जावेद जाफरी, डा0 संतोष यादव, महासचिव आशुतोष त्रिपाठी, कु0 शन्नो, ईश्वर दयाल बघेल समेत कई वक्ताओं ने विचार रखे। सभा के अंत में कार्यक्रम संयोजक अभय यादव ने धन्यवाद दिया। सभा के अन्त में मोदी सरकार की तानाशाही के खिलाफ सतत संघर्ष व सत्याग्रह का शपथ लिया गया।