नई दिल्ली: जेएनयू छात्र नजीब अहमद के लापता होने के सिलसिले में जामिया प्रशासन से दिल्ली पुलिस द्वारा मांगे गए सीसीटीवी फुटेज को मिटा दिया गया है. जामिया प्रशासन के मुताबिक, वह किसी भी दिन के क्लिप को बस एक महीने तक ही सेव करके रखता है. उसके बाद जांच टीम ने इन तस्वीरों को हासिल करने के लिए अपराध विज्ञान प्रयोगशाला की मदद मांगी है.

जामिया मिलिया इस्लामिया प्रशासन ने शुरुआती इनकार के बाद दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा से सीसीटीवी फुटेज साझा किया है, लेकिन उसने बताया कि 18 अक्तूबर से पहले की अवधि का फुटेज उपलब्ध नहीं है. अपराध शाखा नजीब अहमद की गुमशुदगी की जांच कर रही है.

जांच दल ने एक ऑटो-रिक्शा ड्राइवर का पता लगाया है, जिसने उसे बताया कि उसने 15 अक्तूबर नजीब को जामिया मिलिया इस्लामिया पहुंचाया था. एक पुलिस सूत्र ने कहा, 'हमने जामिया प्रशासन से संपर्क किया और उसने हमें बताया कि 18 अक्तूबर तक की अवधि के फुटेज को मिटा दिया गया है, चूंकि क्लिप एक महीने तक के लिए रखे जाते हैं. हम 15 अक्तूबर का फुटेज हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि जामिया परिसर में नजीब की आवाजाही का पता चल सके. हमने कैमरे एफएसएल को भेजे हें ताकि हमें नजीब के मामले में कुछ सुराग मिल सके.'

इसी बीच जेएनयू के माही मांडवी छात्रावास के एक गार्ड को कुछ दिन पहले एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया है कि नजीब को अलीगढ़ में बंधक बनाकर रखा गया है, लेकिन यह पत्र फर्जी निकाला. नजीब इसी छात्रावास में रह रहा था. संयुक्त पुलिस आयुक्त रवींद्र यादव (अपराध शाखा) ने कहा, 'हमने इसकी जांच की. यह सूचना फर्जी है. पत्र में कहा गया है कि उसे बंधक बनाकर रखा गया है, लेकिन यह फर्जी निकला. किसी फिरौती की भी मांग नहीं है.' उन्होंने बताया कि एक टीम अलीगढ़ में संबंधित पते पर भेजी गई थी, लेकिन यह पाया गया कि पत्र के प्रेषक ने गलत पहचान का इस्तेमाल किया है.

नजीब के ठिकाने के बारे में अहम सुराग देने पर इनाम राशि इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख कर दी गई है. नजीब 15 अक्तूबर को लापता हो गया था. उसकी पिछली रात जेएनयू परिसर में उसका अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों के साथ कथित रूप से झगड़ा हुआ था. यह मामला पिछले हफ्ते दक्षिण जिला पुलिस से लेकर अपराध शाखा को सौंपा गया था.