बीएचयू के कुलपति डाॅ. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने किया विज्ञान मेले का शुभारम्भ

सुलतानपुर। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति डाॅ. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने आज यहाॅं कहा कि आज की शिक्षा व्यवस्था से मस्तिष्क ज्यादा परिमार्जित हो रहे है किन्तु हृदय नहीं। जीवन मूल्य, चरित्र और राष्ट्र निर्माण करने वाली शिक्षा मिलनी चाहिए। नकल की ओर बढ़ती शिक्षा की प्रवृति युवाओं को कहां ले जायेगी। यह एक चिन्तनीय विषय है। शिक्षा समुद्र पार करने का सामथ्र्य प्रदान करने वाली होनी चाहिए। भारतीय नीति और नियत की शिक्षा व्यवस्था की वकालत की।

देश के सबसे बड़े शैक्षिक संस्थान विद्या भारती काशी प्रान्त की ओर से सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, विवेकानन्दनगर में गुरूवार को कुलपति ने तीन दिवसीय प्रान्तीय ज्ञान-विज्ञान मेला का शुभारम्भ किया और विज्ञान प्रदर्शनी का अवलोकन कर बाल वैज्ञानिकों के सोच और शोध की सराहना की। डाॅ. त्रिपाठी ने कहा कि सभ्यता, संस्कृति और पराक्रम की तुलना भारत से किसी की नहीं की जा सकती है। हमारी संस्कृति महिलाओं के सम्मान के रहीं है। भारत में इसीलिए माता-पिता, सीताराम, राधेश्याम पुकारा जाता है। शिक्षा वह है जो जीवनमूल्यों में प्रतिष्ठित हो।

इससे पहले कार्यक्रम के संयोजक एवं प्रधानाचार्य सरस्वती विद्या मन्दिर, विवेकानन्दनगर शेषमणि मिश्र ने अतिथियों का परिचय कराते हुए मुख्य अतिथि का पुष्पगुच्छ व शाल पहना कर सम्मानित किया। सरस्वती शिशु मन्दिर के प्रधानाचार्य इन्द्रजीत त्रिपाठी, राधेश्याम शुक्ल व संचालक बांके बिहारी ने अन्य अतिथियों मंत्री भारतीय शिक्षा समिति डाॅ रघुराज सिंह, प्रदेश निरीक्षक विजय उपाध्याय शिशु शिक्षा समिति, विद्या मन्दिर के अध्यक्ष डाॅ. जे.पी. सिंह, का शाल पहनाकर सम्मान किया। भारतीय शिक्षा समिति के प्रदेश निरीक्षक चिंतामणि सिंह ने विज्ञान मेले की प्रास्ताविकी रखी तथा छात्र-छात्राओं ने राष्ट्रीय गीत प्रस्तुत किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. रघुराज सिंह मंत्री भारतीय शिक्षा समिति ने कहा कि हम ऐसी शिक्षा चाहते है जिसकी नीति और नियत भारतीय हो। लेकिन आधुनिक ज्ञान-विज्ञान से सुसज्जित भी हो। ज्ञान-विज्ञान मेले से यह प्रयास होता है कि इन छोटे भैया-बहनों में एक नयी सोच विकसित हो।