सुलतानपुर। अधिवक्ता हत्याकांड में हत्यारांे की गिरफतारी न होने और अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को लेकर अधिवक्ता संघ आन्दोलित है। एक सप्ताह बाद भी
साथी वकील के हत्यारों की गिरफतारी न होने से आक्रोश बढ़ता जा रहा है। घटना के बाद प्रदर्शन कर रहे वकीलांे पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने आग में घी डालने का काम किया। वकील अब पुलिस से आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके है। बार एसोसिएशन की बैठक मे निर्णय लिया गया है कि कोई भी वकील हत्यारों का मुकदमा नही लड़ेगा। एसपी के स्थानांतरण, सीओ और एसडीएम के निलम्बन न होने तक हड़ताल जारी रहेगी।

कोतवाली नगर के रामनगर इमिलिया निवासी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह शुक्रवार की सुबह मोटर साइकिल से दीवानी न्यायालय आ रहे थे। कटावां मोड़ के पास पहले से घात लगाकर बैठे दो युवकों ने उन्हे रोकने के बाद उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। गोली लगने से विजय प्रताप विजय प्रताप को जिला अस्पताल लाया गया था। जहा पर हालत नाजुक होते देख उन्हे मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया था। घटना की खबर जब अधिवक्ताओं को लगी तो वह
सेैकडा़े की संख्या में इकटठा होकर जिला अधिकारी दफतर से सामने प्रदर्शन करने लगे थे। काफी समझाने-बुझाने के बाद आक्रोशित अधिवक्ता शांत हुए थे।
शनिवार की देर रात मेडिकल कालेज में इलाज के दौरान अधिवक्ता विजय प्रताप ने दम तोड़ दिया। यह खबर जब जिलेवासियों को लगी तो हतप्रभ रह गये। मौत की खबर पर अधिवक्ता भी बिफर गये है। अधिवक्ताओं का कहना है कि अधिवक्ता के परिवार की तीस लाख की आर्थिक सहायता की जाय। पुलिस अधीक्षक का तबादला किया जाय। एसडीएम और सीओ सिटी का निलम्बन किया जाए। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अरूण उपाध्याय ने चेतावनी दिया है कि यदि उनकी मांग न मानी गयी तो वह आत्मदाह कर लेगे। गुरूवार को अधिवक्ताओं की हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि परिवारीजनों की आर्थिक सहायता, बेटी की शादी में सहयोग, विजय प्रताप के परिवार से जुड़े मुकदमों का खर्च उठाने का बीड़ा संघ उठायेगा। अधिवक्ताओं ने सवाल उठाया कि रामनगर में लगातार हत्याओं का सिलसिला क्यो जारी है। हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने की मांग उठाई गयी।

9 अक्टूबर को प्रधानी चुनाव को लेकर अधिवक्ता जगदम्बा यादव पर जानलेवा हमला हुआ था। जिसमें फौजी अजय प्रताप हत्याकांड के एक आरोपी मुन्नीलाल
यादव की पीटपीट कर हत्या कर दी गयी थी। जिसमें शारदा प्रातप उर्फ राजाबाबू, मुन्नीलाल यादव समेत तीन लोगो का नाम प्रकाश में आया। वारदात में प्रयुक्त अपाची पकड़ी गयी। जिसमें पता चला कि वाहन जितेन्द्र प्रताप की पत्नी सावित्री सिंह के नाम दर्ज है। अधिवक्ता विजय प्रताप हत्याकांड के बाद मुन्ना ंिसंह का परिवार फरार है। पुलिस अब मुन्ना की पत्नी सावित्री की तलाश में जुट गयी है।

अधिवक्ता जगन्नाथ हमला मामले में एक हैरतंगेज मामला प्रकाश में आया है। वकील द्वारा दर्ज कराये मुकदमे के ट्रायल के दौरान पुलिस और अपराधियों की साठ-गाठ का मामला भी सतह पर आया था। सूत्रों के मुताबिक मुकदमे मे सुलह लगवाने के लिए गब्बर ने विपक्षी पर पेशगी देकर अधिवक्ता पर सेंधमारी का
मुकदमा दर्ज कराया था। दरोगा जब मौके पर जांच मे पहुंचा तो उसे पता चला कि आरोपी अधिवक्ता है। अन्ततः पुलिस ने चुपचाप फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। पुलिस की लचर व्यवस्था का आलम यह है कि अधिवक्ता पर जानलेवा हमला मामले में जेल से साजिश रची गयी थी। रिमांड में पुलिस को मोबाइल तक नही बरामद हुआ है।

पुलिस अधीक्षक पवन कुमार ने बताया कि विजय प्रताप हत्याकांड में पुलिस टीम हत्यारों के करीब है। जल्द ही हत्याकांड में शामिल अपराधियों को पकड़ लिया जायेगा।