लखनऊ। जीएसटी काउंसिल में राज्यों के अधिकारों के विरुद्ध लिए जा रहे निर्णयों को लेकर वाणिज्य कर विभाग के हजारों अधिकारियों कर्मचारियों ने आज लखनऊ के लक्ष्मण मेला स्थल पर धरना-प्रदर्शन किया। साथ ही अपनी मांगों का एक ज्ञापन प्रदेश के राज्यपाल को सौंपा। यह जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश वाणिज्यकर अधिकारी संघ के अध्यक्ष नरेंद्र यादव ने कहा कि आल इंडिया कांफेडरेशन ऑफ कामर्शियल टैक्स एसोसिएसनस (आक्टा) के तत्वाधान में पांच सूत्रीय मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन किया गया है।

धरने को संबोधित करते हुए असिसटेंट कमिश्नर, सुनील वर्मा ने कहा कि जीएसटी काउंसिल में केंद्रीय उत्पाद कर विभाग ने अपने दबदबे का दुरुपयोग किया है, ऐसे प्रस्ताव लाए जा रहे हैं जिनसे की भविष्य में राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता कमजोर होगी। उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर अधिकारी सेवा संघ के उपाध्यक्ष अंजेश बर्नवाल ने कहा कि आक्टा के बैनर तले चल रहे आंदोलन की आवाज अगर जीएसटी काउंसिल द्वारा जल्दी नहीं सुनी गई तो समय पर जीएसटी लागू होना मुश्किल हो जाएगा। क्योंकि केंद्रीय उत्पाद कर विभाग के साथ टे्रनिंग के साथ-साथ पैन अपडेशन और डेटा माईग्रेशन को रोकने का आह्वïान पूर्व में ही किया जा चुका है। डीएस गौतम, प्रवक्ता आक्टा द्वारा बताया गया कि 3, 4 नवम्बर की जीएसटी काउंसिल की बैठक में हमारें प्रस्तावों पर विचार की उम्मीद है क्योंकि देश के सभी राज्यों के वाणिज्य कर विभाग इस आंदोलन में एक साथ भाग ले रहे हैं और इसी का परिणाम है कि जीएसटी काउंसिल की पिछली तीन बैठकों से कोई निर्णय नहीं हो पा रहा है।

आज के इस विशाल विरोध प्रदर्शन में पूरे प्रदेश से लगभग तीन हजार से अधिक अधिकारी एवं कर्मचारी लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में उपस्थित हुए। विरोध प्रदर्शन में वाणिज्य कर विभाग के तीनों अधिकारी संघों के अध्यक्ष और महासचिवों के अतिरिक्त विभिन्न कर्मचारी संघों के पदाधिकारी गण सेलक राम चौधरी, आरके सिंह भदौरिया, भूपेश अवस्थी, विनय श्रीवास्तव, गंगा राम, राज भरत अवस्थी, संजय तिवारी, सुरेश यादव आदि उपस्थित रहे। वाणिज्य कर विभाग के रिटायर्ड अधिकारियों की एसोसिएशन (कामरान) के अध्यक्ष एससी अग्रवाल व महासचिव बीबी सिंह भी उपस्थित रहे।

उपरोक्त विरोध प्रदर्शन के पश्चात संघों के प्रतिनिधिमंडल के द्वारा महामहिम राज्यपाल महोदय से मुलाकात कर अपनी पांच सूत्रीय मांगों के संबंध में ज्ञापन प्रस्तुत किया गया तथा केंद्र सरकार व जीएसटी काउंसिल तक उपरोक्त मांगों को पहुंचाने का अनुरोध किया गया।