लखनऊ: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने देश में भाजपा-शासित राज्यों में पुलिस को राजनीतिक स्वार्थ व आर.एस.एस. के एजेण्डे के हिसाब से इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुये मध्य प्रदेश में ’सिमी’ संगठन के आठ फरार कैदियों को पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के घटना की न्यायिक जाँच की माँग की है।

आज यहाँ जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस के ही हवाले से जो ख़बर आ रही है उसी के हिसाब से सिमी संगठन से सम्बद्ध 8 फरार कैदी निहत्थे थे तथा उन्हें आसानी से दोबारा गिरफ्तार किया जा सकता था। लेकिन ऐसा करने का प्रयास तक नहीं किया गया। इस प्रकार प्रथम दृष्टया यह मामला संदिग्ध लगता है तथा न्याय की माँग है कि इस पुलिस मुठभेड़ की घटना की न्यायिक जाँच होनी चाहिये।

वैसे भी भाजपा-शासित राज्यों में पुलिस का जिस प्रकार से राजनीतिक व साम्प्रदायिक स्वार्थ की पूर्ति के लिये इस्तेमाल हो रहा है, वह किसी से छिपा नहीं है। साथ ही, पूरे देश को मालूम है कि ख़ासकर मध्य प्रदेश की पुलिस ने बहु-चर्चित व बहु-विवादित व्यापम खूनी घोटाले की जाँच स्वतंत्रतापूर्वक नहीं करके सत्ता से जुड़े लोगों को बचाने का काम किया था। इस व्यापम घोटाले में काफी लोगों की जानें भी गयी थी और अब वह मामला माननीय सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सी.बी.आई के सुपुर्द है। इसी प्रकार की और भी अनेकों घटनायें हैं जिनसे यह साफ लगता है कि मध्य प्रदेश सरकार आर.एस.एस. के संकीर्ण व साम्प्रदायिक एजेण्डे को प्रदेश में सख़्ती से लागू करने के लिये पुलिस महकमें का लगातार ग़लत इस्तेमाल कर रही है।

प्रतिबंधित संगठन ’सिमी’ के जेल से फरार कैदियों के सम्बन्ध में पुलिस विभाग की मिलीभगत होने की आशंका स्वयं वहीं के पुलिस के अफसर ही जता रहे हैं। इसके अलावा पुलिस मुठभेड़ पर भी विभिन्न पार्टियों व संगठनों द्वारा उंगली उठायी जा रही है। इसलिये मामले की न्यायिक जाँच होनी चाहिये। भाजपा सरकार को इसमें ज्यादा आना-कानी व टाल-मटोल नहीं करनी चाहिये।