लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में तत्काल प्रभाव से हड़ताल, आन्दोलन एवं प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

यह जानकारी चिकित्सा शिक्षा विभाग की प्रमुख सचिव डा0 अनिता भटनागर जैन ने आज यहां दी । उन्होंने बताया कि प्रदर्शन एवं हड़ताल पर रोक समस्त राजकीय मेडिकल कालेजों, चिकित्सा विश्वविद्यालयों, संस्थानों, राजकीय इकाइयों, चिकित्सालयों के चिकित्सा शिक्षकों, चिकित्सकों तथा रेजीडेंट डाक्टरों पर प्रभावी होगी। अब कोई भी चिकित्सक/रेजिडेंट डाक्टर-शिक्षक हड़ताल, विरोध प्रदर्शन, आन्दोलन तथा कार्य बहिष्कार नहीं कर सकेगा।

प्रमुख सचिव ने बताया कि यदि राजकीय क्षेत्र के चिकित्सकों, चिकित्सा शिक्षकों तथा रेजीडेन्ट डाक्टरों द्वारा हड़ताल की जाती है, तो ऐसी स्थिति में संस्थान द्वारा 24 घन्टे के अन्दर हड़ताल की सूचना सक्षम अधिकारी को देनी होगी। हड़ताली चिकित्सकों, चिकित्सा शिक्षकों एवं रेजीडेन्ट डाक्टरों को चिन्हित कर 72 घंटे के अन्दर प्रारम्भिक जाॅच सक्षम स्तर से की जाएगी। उन्होंने बताया कि हड़ताल की स्थिति में 24 घंटे के भीतर एस्मा लागू कराने का दायित्व भी सम्बन्धित विभागाध्यक्ष का होगा। साथ ही आवश्यक स्वास्थ्य सेवायें बहाल रखने का दायित्व सम्बन्धित संस्थान के अध्यक्ष/विभागाध्यक्ष का होगा।

डा0 जैन ने बताया कि हड़ताल से सम्बन्धित गम्भीर प्रकरणों में यदि हड़ताली चिकित्सकों/चिकित्सा शिक्षकों/रेजीडेन्ट डाक्टरों की सेवायें समाप्त किये जाने का निर्णय लिया जाता है, तो इसकी संस्तुति भी विभागाध्यक्ष द्वारा उपलब्ध करानी होगी। उन्होंने बताया कि हड़ताल की अवधि में हड़ताली चिकित्सकों/चिकित्सा शिक्षकों/रेजीडेन्ट डाक्टरों को वेतन का भुगतान नहीं किया जायेगा। इसके अलावा समस्त प्रकार की क्षतिपूर्ति का दायित्व भी हड़ताली चिकित्सकों/चिकित्सा शिक्षकों/रेजीडेन्ट डाक्टरों का होगा। हड़ताल की अवधि में सरकारी सम्पत्ति को क्षति पहुंचाने वाले दोषी कर्मी से वसूली की जायेगी।

ज्ञातव्य हो कि प्रदेश सरकार ने यह निर्णय जनहित याचिका रिट पिटीशन संख्या-13501 (एम0बी0)/2016 मोतीलाल यादव बनाम उ0प्र0 राज्य व अन्य में उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच द्वारा पारित निर्णय के अनुपालन में लिया है।