लखनऊ: सपा में जारी संग्राम के बीच सपा कार्यालय के बाहर अखिलेश और शिवपाल समर्थक आमने-सामने हो गए. दोनों पक्षों से अपने-अपने नेताओं के लिए नारेबाज़ी हुई. समर्थकों के बीच हाथापाई भी हुई है. पुलिस ने समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए बल का प्रयोग किया.

बैठक से पूर्व कार्यालय के बाहर अखिलेश यादव ने भावुक होकर कहा कि मैं नई पार्टी क्यों बनाऊंगा? मैं भी किधर जाऊंगा, मैं बर्बाद हो जाऊंगा. नेताजी मेरे लिए गुरु हैं, वह चाहें तो मुझे पार्टी से बाहर निकाल सकते हैं.

थोड़ी ही देर में यहां एक बैठक शुरू होनी है, जो पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने बुलाई है. सभी सांसदों, पूर्व सांसदों, विधायकों, एमएलसी को इस बैठक में बुलाया गया है, हालांकि यह बैठक पिछले काफी समय से तय थी, लेकिन पार्टी में हुए रविवार के घटनाक्रम के बाद यह काफी अहम माना जा रहा है. इस बैठक में यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी बुलाया गया है.

इससे पहले रविवार को अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल समेत चार मंत्रियों को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया. थोड़ी ही देर बाद मुलायम ने अपने चचेरे भाई रामगोपाल को पार्टी से निकाल दिया. अब अखिलेश और मुलायम के दो गुट बन चुके हैं और दोनों एक-दूसरे पर बीजेपी से साठगांठ का आरोप लगा रहे हैं. रामगोपाल ने शिवपाल को व्याभिचारी कहा और शिवपाल ने भी रामगोपाल को बीजेपी का एजेंट बताया.

देर शाम सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के घर वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई. बैठक के बाद मुलायम सिंह ने बाहर निकलकर पत्रकारों से कहा, आज कुछ नहीं बोलूंगा, जो पूछना सोमवार को पूछ लेना.

अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले पर बयान दिया कि मुलायम सिंह यादव मेरे पिता हैं. सारी जिंदगी उनकी सेवा करूंगा. मैं पिता के खिलाफ नहीं हूं. पार्टी तोड़ना नहीं चाहते हैं. 5 तारीख को जो पार्टी का 25 साल का जश्न होने जा रहा है, उसमें जरूर शामिल होने जाऊंगा. उससे पहले 3 तारीख से रथ यात्रा भी शुरू करेंगे. अखिलेश का कहना है कि वह सिर्फ उनके खिलाफ हैं, जो अमर सिंह के साथ हैं और अमर सिंह की तरफदारी कर रहे हैं.

इसके साथ ही रामगोपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव के नाम चिट्ठी भी लिखी. इसमें उन्होंने लिखा कि मुलायम न सिर्फ़ बड़े भाई, गुरु भी हैं. मुलायम अभी राक्षसी शक्तियों से घिरे हैं. मुक्त होने पर सच का अहसास होगा. इस धर्म युद्ध में मैं अखिलेश के साथ हूं. अखिलेश को फिर सीएम बनाने तक साथ हूं.पार्टी से निकाले जाने का दुख नहीं है. घटिया आरोप लगाए जाने से पीड़ा है. बीजेपी नेताओं से मिलना अपराध नहीं है.