लखनऊ में जश्न-ए-मख्दूम-ए-सिमना मनाया गया

लखनऊ: मदरसा अशरफिया बरकाते रज़ा, आदर्श नगर, बालागंज, लखनऊ में जश्न-ए-मख्दूम-ए-सिमना मनाया गया जिसकी अध्यक्षता औलादे गौसे आज़म व मख्दूम-ए-सिमना हज़रत सैयद मोहम्मद अहमद मियॉं किछौछवी युवा अध्यक्ष ऑल इण्डिया मोहम्मदी मिशन ने की। जश्न को खिताब करते हुए हज़रत अहमद मियॉं किछौछवी ने छात्र व छात्राओं को इल्में दीन सिखने पर बल देते हुए कहा कि जिस तरह केन्द्र सरकार शरीयत-ए-मोहम्मदी में हस्ताक्षेप करने कि कोशिश कर रही है इसके पीछे हमारी कम शिक्षा भी है क्योकि आज बहुत से मुसलमान अपने दीन के बारे में सही तौर कुछ नही जानते है जिसका फयादा उठाकर सम्प्रदायिक ताकतें शरियत में हस्ताक्षेप करने की हिम्मत जुटा रही है लेकिन भारत का जागरूक मुसलमान इतना न समझ नही है यूनीफार्म सिविल कोड का मसला सिर्फ मुसलमानों का ही नही है बल्कि इसमें सिख, जैन, आदवासी, इसाई, पारसी आदि न जाने कितने धर्म और पंथ के लोगों का धार्मिक मसला बन जाएगा। मोदी सरकार को सिर्फ मुसलमान ही नही बल्कि सभी धर्मो का विरोध झेलना पड़ेगा। लेकिन आज कुछ धार्मिक संस्थाए इस विषय को इतना फैला रहे है जैसे इस्लाम खतरे में पड़ गया है। चुनाव से पहले इस तरह से मुद्दों को फैलाकर हिन्दुस्तान के मुसलमानों के ज़हन को भटकाने की नकाम कोशिश की जा रही है आज भारत के मुसलमानों की जो स्थिति है उसपर किसी का कोई विरोध प्रर्दाश्न नही हो रहा है रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट, सच्चर कमेटी की रिपोर्ट, 341 पर धार्मिक प्रतिबन्ध का मुद््दा वगैरा-2 पर कोई चर्चा नही हो रही है सिर्फ तीन तलाक के मुद्दे पर हिन्दुस्तानियों को उलझाया जा रहा है चुनाव से पहले लोग अपनी अपनी रोटियॉ सेकने व दुकानें सजाने में गये है और मोदी सरकार अपनी विफलता को यूपी चूनाव में छुपाने के मकसद से मिडिया के माध्यम से हिन्दुस्तान की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है ताकि हिन्दुस्तान की जनता मोदी सरकार से ढ़ाई साल का हिसाब न पुछे। जलसे को खिताब करते हुए मौलाना मुन्नवर हुसैन बस्तवी ने हज़रत मख्दूम सुल्तान अशरफ जहागीर समनानी की जिन्दगी पर रोशनी डाली और एहले बैत से मोहब्बत के तालुक से सरकारे दोआलम की हदीस से लोगों को आशना किया। जल्से की शुरूआत कारी आरिफ रज़ा रज़वी ने तलावते-ए-कुआर्न पाक से की निज़ामत के फराएज़ मौलाना मसूदी बहराची ने अन्जाम दिया। सलातो सलाम व कुल व फातेहा व दुआ के साथ जलसे का समापन हुआ।