लखनऊ: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश मायावती ने बीजेपी द्वारा धर्म को राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु इस्तेमाल करने के लिये भाजपा की तीखी आलोचना करते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के आमचुनाव के मद्देनज़र दलितों के वोटों के स्वार्थ में ख़ासकर यहाँ प्रदेश में उनके कुछ प्रायोजित बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निकाली गयी ‘धम्म चेतना यात्रा‘ बुरी तरह से विफल साबित हुई है।
मायावती ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि कानपुर में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा किये गये इनके समापन समारोह में दलित वर्ग के लोग शामिल नहीं हुये, बल्कि अधिकांशतः बीजेपी व आर.एस.एस. के लोगां को ही ‘नकली दलित‘ बनाकर शामिल कराया गया। साथ ही, जिन बौद्ध भिक्षुओं को सम्मानित करने की बात की गयी है, उनमें से भी ज्यादातर बीजेपी व आर.एस.एस. के लोग ही नकली बौद्ध भिक्षु बने हुये थे।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले बीजेपी द्वारा प्रयोजित यह धम्म यात्रा अत्यन्त ही विवादित हो गयी थी तथा जगह-जगह इसका विरोध किया गया था क्योंकि इसमें इन्होंने आर.एस.एस. के लोगों को ही नकली दलित बनाकर और लोगां का सर मुण्डवा कर तथा नकली बौद्ध भिक्षु बनाकर शामिल कर लिया था। धम्म चेतना यात्रा का नहीं बल्कि बौद्ध धर्म को राजनीति से इस प्रकार जोड़ने का तीव्र विरोध लोगों ने किया था। यह ऐसा ही प्रयास है जैसाकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी दशहरा के मौके पर लखनऊ में रामलीला में शामिल होकर धर्म की आड़ में राजनीति करने की कोशिश की थी ताकि उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की ख़स्ताहाल स्थिति को थोड़ा सहारा दे सकें।
मायावती ने कहा कि आज ही के दिन 14 अक्टूबर सन् 1956 को परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने, कई वर्षोंं के काफी लम्बे समय तक इन्तज़ार करने बाद, नागपुर में अपने लाखों अनुयाइयों के साथ बौद्ध धर्म को अपनाया था, परन्तु उनके धर्म परिवर्तन का जो प्रमुख कारण था, वह आज भी अपने देश में विद्यमान है तथा उनके अनुयाइयों पर जातिवादी जुल्म-ज्यादती, शोषण, अत्याचार व उत्पीड़न हर स्तर पर जारी है तथा आरक्षण सहित उनसे उनके अन्य संवैधानिक व कानूनी अधिकार छीनने का प्रयास लगातार किया जा रहा है। उनके खिलाफ दुःखद व दर्दनाक वारदातें केन्द्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद काफी ज्यादा बढ़ी है। इसके लिये केन्द्र में कांग्रेस की पूर्ववती व वर्तमान में भाजपा की सरकार पूरी तरह से जिम्मेवार व कसूरवार है, इससे कोई भी इन्कार नहीं कर सकता है।
मायावती ने कहा कि दलितों के प्रति खासकर भाजपा व आर.एस.एस. के लोगों की हीन व जातिवादी एवं संकीर्ण मानसिकता का ही परिणाम है कि दलितों व पिछड़ों को उनके आरक्षण की सुविधा को समाप्त करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। सरकारी क्षेत्र की नौकरियों को इन वर्गों के लिये सीमित कर दिया गया है तथा प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देकर दलित व अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों के लिये नौकरियों के दरवाजे़ बन्द कर दिये गये हैं तथा प्रमोशन में आरक्षण की पुरानी चली आ रही व्यवस्था पर तो पूरी तरह से विराम ही लगा दिया गया है। इसके साथ ही सामाजिक क्षेत्र के साथ-साथ दलित उत्थान की योजनाओं में धन की कटौती करके उन्हें लगभग निष्प्रभावी ही बना दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इतना कुछ ज़बर्दस्त जुल्म-ज्यादती व दलित विरोधी काम करने के बावजूद केवल दलित समाज के लोगों को यहाँ होने वाले विधानसभा आमचुनाव के मद्देनजर वरगलाने के लिये केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा इन वर्गों के मसीहा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के जीवन से जुड़े कुछ स्थानों को स्मारक व संग्रहालय आदि में परिवर्तित करने की मात्र घोषणा किये जाने से व कुछ मौकों पर कांग्रेस पार्टी की ही तरह दलितों व पिछड़ों के घरो में जाकर उनका खाना आदि खाने से भी इनके समाज का पिछड़ापन व सामाजिक उत्पीड़न खत्म होने वाला नहीं हैं।
अब इन वर्गों के लोग अपने समाज पर आयेदिन हो रहे अन्याय-अत्याचार व जातिवादी व्यवहार एवं सरकारी भेदभाव व उपेक्षा आदि से काफी ज्यादा दुःखी व चिन्तित भी हैं और इन सब मामलों में अब ये लोग बीजेपी व प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की केवल सहानुभूति व हमदर्दी नहीं चाहते हैं, बल्कि इसके साथ-साथ उनके मुख्य दोषी लोगों के खिलाफ समय से ठोस कानूनी कार्रवाई भी सुनिश्चित होते हुये देखना चाहते हैं। अर्थात अब ये लोग अपने आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ-साथ भारतीय संविधान में इन्हें ख़ासकर समानता, बराबरी व आरक्षण आदि के जो भी कानूनी अधिकार मिले हैं उनको अब ये लोग वास्तव में यहाँ जमीनी हकीकत में सही तौर पर लागू होते हुये देखना चाहते हैं ताकि इनके अपने जीवन में सही व वास्तविक सुखद बदलाव आ सके।
इसके अलावा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व उनकी केन्द्र की सरकार बौद्ध धर्म की बात व प्रशंसा केवल सस्ती लोकप्रियता के लिये ही बार-बार करती रहती है, जबकि काम तथागत गौतम बुद्ध के उपदेशों के विरूद्ध ही करती रहती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा के शासनकाल में अब पूरे देश में साम्प्रदायिकता, कट्टरवाद, संकीर्ण राष्ट्रवाद व देशभक्ति के नाम पर आयेदिन सरकारी संरक्षण में जुल्म-ज्यादतियाँ काफी बढ़ गयी हैं तथा साथ ही खासकर गौरक्षा, लव-जेहाद, देशभक्ति, हिन्दू-संस्कृति व धर्म परिवर्तन आदि की आड़ में खुलेआम काफी ज्यादा हिंसा व उत्पीड़न किया जा रहा है।
भाजपा व आर.एस.एस. की बहुजन समाज के खिलाफ घृणा व नफरत की राजनीति का ही परिणाम है कि विशेषकर गौरक्षा के नाम पर पहले पूरे देश में मुसलमानों का और अब दलितों का भी काफी ज्यादा उत्पीड़न किया जा रहा है। इस बात का उत्तर प्रदेश का दादरी काण्ड, हरियाणा के मेवात का बिरयानी बलात्कार काण्ड व गुजरात का ऊना व बनासकाँठा दलित उत्पीड़न काण्ड आदि खास उदाहरण है। साथ ही ‘‘आतंकवाद‘‘ के नाम पर भी अब पूरे देश में ‘‘मुस्लिम समाज’’ के आम लोगां को भी जो शक की नज़रों से देखा जा रहा है,े यह सब भारतीय संविधान व देशहित के हिसाब से यहाँ ठीक नहीं हो रहा है और इसकी हमारी पार्टी कड़े शब्दों में निन्दा भी करती है।
मायावती ने कहा कि बी.एस.पी के नेतृत्व व दलितों एवं गरीबों के विकास के सम्बंध में कोई भी बात करने से पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस ख़ास चुनावी वायदें को पूरा करने के विफलता के बारे में बोलना चाहिये जो उन्होंने विदेशों से काला धन वापस लाकर हर गरीब परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को 15 से 20 लाख रूपये देने का वायदा किया था। साथ ही, उनके भाषण से यह भी स्पष्ट है कि भाजपा को स्वाभिमानी दलित नेतृत्व बहुत खटक रहा और उन्हें गुलाम मानसिकता वाले दलित नेता चाहिये।