लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान परिसर में जैन मिलन लखनऊ एवं उत्तर प्रदेश जैन विधा शोध संस्थान द्वारा आयोजित विश्व मैत्री दिवस पर डाॅ0 ऋषभचन्द्र जैन, निदेशक प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान, वैशाली को ‘विश्व मैत्री सेवा सम्मान-2016‘ से सम्मानित किया। डाॅ0 ऋषभचन्द्र द्वारा जैन विधा पर 35 पुस्तकों का लेखन और सम्पादक किया जा चुका है तथा उन्हें अनुसंधान का भी लम्बा अनुभव रहा है। उन्हें इससे पूर्व अनेकों सम्मान प्रदान किये जा चुके हैं।
राज्यपाल ने कहा कि जैन धर्म का क्षमा चिन्तन सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है। क्षमा पर्व पर क्षमा मांगना बड़ी बात है। स्वयं से जाने-अनजाने में गलती हो जाने पर क्षमा मांगने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। भगवान महावीर के विचारों को केवल विचारों तक सीमित न रखकर व्यवहार में लाने की जरूरत है। आचार और विचार में अंतर नहीं होना चाहिए। चरैवेति! चरैवेति!! का प्रयास करने वाले ही सफल होते हैं। उन्होंने कहा कि जिसने अहिंसा का संदेश दिया, वह स्वयं महावीर है।
श्री नाईक ने कहा कि जैन समाज से मेरा पुराना संबंध रहा है। इकट्ठे रहकर यह समाज अपने सामाजिक सरोकार के माध्यम से बिना अहंकार के प्रेरणा देता है। जैन समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम की सराहना करने हुए उन्होंने कहा कि लगातार 12 साल से जैन समाज सम्मान समारोह का आयोजन करता आ रहा है जो वास्तव में अभिनन्दनीय है। उन्होंने कहा कि अच्छे कार्यों को निरन्तर चलते रहना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे देश की संस्कृति हजारों साल पुरानी है। अलग-अलग समय पर विभिन्न महापुरूषों ने जन्म लेकर देश की संस्कृति को समृद्ध किया है। समय-समय पर जो विचार आये वो भारतीय संस्कृति की मूल भावना को आगे बढ़ाने वाले हैं। मन को शांति देने वाले विचारों में जैन, बौद्ध व सनातन धर्म का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत वसुधैव कुटुम्बकम यानि पूरा विश्व एक परिवार है की परम्परा पर विश्वास करता है। छोटे मन वाले तेरा-मेरा का विचार करते हैं, परन्तु उदार चरित्र वाले पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में जैन धर्म के विचारों को समझने की जरूरत है।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डाॅ0 ऋषभचन्द्र जैन, डाॅ0 हरिओम सचिव संस्कृति विभाग सहित अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।