नई दिल्ली: यूपी के बुलंदशहर में मां- बेटी से गैंगरेप के मामले की सुनवाई के दौरान आजम खान की तरफ से किसी के भी पेश नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटिस जारी होने के बावजूद वह पेश नहीं हुए, जबकि उनकी तरफ किसी को तो पेश होना ही चाहिए था. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को याचिका की कॉपी और नोटिस आजम खान को देने के लिए कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी.

दरअसल आजम खां ने इस घटना को कथित रूप से राजनीतिक षड्यंत्र बताया था, जिसके बाद गैंगरेप पीड़ित के पिता की अपील पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और राज्य के शहरी विकास मंत्री आजम खान को नोटिस जारी किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान की टिप्पणियों पर यूपी सरकार और आजम खान को नोटिस जारी करते वक्त फटकार लगाते हुए कहा था कि क्या प्रशासन या सरकार के अहम ओहदे पर बैठा व्यक्ति यह कह सकता है कि इस तरह की घटनाएं राजनीतिक साजिश के तहत होती हैं, जबकि घटना से व्यक्ति का कोई लेना-देना न हो.

कोर्ट ने कहा, क्या राज्य सरकार और कानून व्यवस्था को बरकरार रखने की जिम्मेदारी वाला शख्स ऐसे बयानों की अनुमति दे सकता है, जिसका असर पीड़िता पर पड़ेगा और वह निष्पक्ष जांच में अपना विश्वास खो देगी. क्या ये संविधान द्वारा दिए गए बोलने के अधिकार की सीमा को पार करना नहीं है.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को बुलंदशहर सामूहिक बलात्कार मामले में सीबीआई जांच पर लगी रोक हटा दी थी और कहा था सीबीआई ही मामले की जांच करेगी. कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को कहा था कि वह इस मामले में सुनवाई न करे और सीबीआई इस मामले में तेजी से जांच करे.

सुप्रीम कोर्ट गैंगरेप पीड़ित मां-बेटी की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिन्होंने केस को दिल्ली ट्रांसफर करने और कोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच कराने की मांग की थी. इसके साथ ही पीड़ित परिवार ने ऐसे बयान देने के लिए आजम खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी. इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए.