श्रेणियाँ: राजनीति

हार का ठीकरा फोड़ने के लिए मुलायम ने शिवपाल को बनाया अध्यक्ष: मायावती

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज यहाँ कहा कि उत्तर प्रदेश में शीघ्र ही होने वाले विधानसभा आमचुनाव में सपा की होने वाली अवश्यंभावी करारी हार का ठीकरा अपने पुत्र के सर पर फूटने से बचाने की तैयारी के क्रम में एक सोची-समझी रणनीति के तहत सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने भाई शिवपाल सिंह यादव को आमचुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश सपा का अध्यक्ष बना दिया, ताकि ख़ासकर क़ानून-व्यवस्था के मामले में प्रदेश सपा सरकार के बुरी तरह से विफल साबित होने के फलस्वरूप अपने पुत्र की इमेज को और भी ज़्यादा ख़राब होने से थोड़ा बचाया जा सके तथा सत्ताधारी समाजवादी पार्टी व परिवार में वर्चस्व को लेकर जारी संघर्ष व गृहयुद्ध की ड्रामेबाजी में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के हावी पुत्रमोह पर से प्रदेश की जनता का ध्यान बांटा जा सके।

मुलायम सिंह यादव द्वारा एक सोची-समझी रणनीति के तहत की गयी क़िस्म-क़िस्म की नाटकबाज़ी का लगभग वैसे ही पटाक्षेप जनता के सामने हो गया लगता है जैसाकि उसकी स्क्रिप्ट तैयार की गयी थी। भले ही इसकी क़ीमत उनके भाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव को प्रदेश की तथा प्रदेश की जनता को अपने अमन-चैन व जान-माल की क़ीमत से चुकानी पड़ी हो जैसा कि बिजनौर में कल साम्प्रदायिक दंगे के दौरान हुआ और तीन लोगों की जान चली गयी तथा प्रदेश में लोग सहम से गये।

मायावती ने बयान में कहा कि सपा परिवार में लगातार चलने वाली पारिवारिक कलह व वर्चस्व की लड़ाई जो अब काफी ज्यादा बढ़ कर गृहयुद्ध में बदल जाने की ख़बरें लगातार मीडिया की सुर्खियाँ बनती रही,ं वह वास्तव में मुलायम सिंह यादव के पुत्रमोह का ही परिणाम प्रतीत होता है। इस ड्रामेबाजी का अन्त वैसा ही हुआ है जिसकी आशंका थी अर्थात कुल मिलाकर मुलायम सिंह यादव ने अपने पुत्र को प्रश्रय दिया और पार्टी का टिकट बांटने का लगभग एकाधिकार भी सौंप दिया। इससे भी पुत्रमोह में रची इस प्रकार के पारिवरिक ड्रामेबाजी का काफी कुछ पर्दाफाश होता है।

मायावती ने केंद्र सरकार को भी घेरते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में व्याप्त हर प्रकार की अव्यवस्था व अराजकता एवं जंगलराज के बावजूद केन्द्र की भाजपा सरकार की चुप्पी व यहाँ की सपा सरकार के प्रति उसके नरम व मुलायम रवैये से लोग काफी ज़्यादा दुःखी है। फिर भी भाजपा व प्रदेश से चुने गये उसके 73 सांसद एवं मंत्री तथा स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रहस्यात्मक तौर पर चुप्पी साधे हुये हैं। क्या चुनावी रणनीति के तहत् यह सपा-भाजपा की आपसी मिलीभगत का परिणाम तो नहीं है?

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