लखनऊ: पिछले चौदह सालों से केन्द्र व प्रदेश में राज करने वाली भाजपा, कांग्रेस और सपा, बसपा की सरकारों ने आदिवासियों के अधिकार नहीं दिए। गोंड़, खरवार समेत दस जातियों को जब आदिवासी का दर्जा दिया गया था उस समय केन्द्र व राज्य में भाजपा की सरकार थी पर उसने उनके के लिए कोई भी सीट आरक्षित नहीं की और उसके बाद बनी सरकारों ने तो आदिवासियों के आरक्षण को ही रोकने की कोशिश की। 2010 में उच्च न्यायालय ने आदिवसियों के लिए पंचायत में आरक्षण देने का निर्णय दिया था पर उस समय मायावती सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गयी और इसे स्टे करा दिया। बाद में आधे अधूरे मन से अखिलेश सरकार ने आंदोलन के दबाव में सीट आरक्षित की पर इसमें भी बेईमानी की. कुशीनगर जहां आदिवासी हैं ही नहीं वहां भी आदिवासी आरक्षण दे दिया गया। भाजपा की मौजूदा सरकार ने तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर संसद से विधेयक वापस लेकर आदिवासी समाज के अस्तित्व को खत्म कर दिया। आदिवासी समाज के अस्तित्व पर हो रहे इस हमले के खिलाफ दिल्ली से लेकर दुद्धी तक संघर्ष किया जायेगा। यह बातें आज म्योरपुर (सोनभद्र) के खेल मैदान में आयोजित आदिवासी अधिकार सम्मेलन में पूर्व विधायक व मंत्री विजय सिंह गोंड ने कहीं। सम्मेलन की अध्यक्षता अनवर अली ने और संचालन प्रधान बबई मरकाम ने किया। उन्होंने महाराष्ट्र में आदिवासी इलाके में भाजपा सरकार के कार्यकाल में 600 बच्चों की मौत पर गहरा आक्रोश जताते हुए कहा कि भाजपा और उसकी सरकारों का एक ही मकसद है आदिवासी समाज को खत्म करना। छत्तीसगढ़, झारखण्ड़, उत्तराखण्ड़, आंध्र प्रदेश, असम, तेलगांना, उडीसा से लेकर देश के हर हिस्से में रहने वाले आदिवासी समाज के अस्तित्व और अस्मिता पर हमला करने में लगी है। असम में बाबा रामदेव को जमीन देने के लिए 1132 एकड़ पर बसे आदिवासियों को पुलिस के बल पर बेदखल कर दिया गया, छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के खिलाफ सरकार ने युद्ध छेड़ा हुआ है और आए दिन लड़कियों के साथ बलात्कार और हत्याएं हो रही हैं। झारखण्ड़ में आदिवासियों की जमीन के संरक्षण के लिए सभी कानून खत्म किए जा रहे है। उड़ीसा में कारपोरेट घरानों के लिए आदिवासियों की जमीन से बेदखली हो रही है। उन्होंने कहा कि जो भी आदिवासी समाज का अस्त्वि खत्म करना चाहता है इस आंदोलन की ताप में उसकी राजनीति खत्म हो जायेगी।

सम्मेलन में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के प्रदेश महासचिव व आदिवासी अधिकार मंच के संयोजक दिनकर कपूर ने कहा कि यह आंदोलन मात्र आदिवासी समाज के अधिकार का ही नहीं है बल्कि यह इस देश के हर उस आम नागरिक का आंदोलन है जिसके अधिकार सरकार और सत्ता द्वारा छीने जा रहे है। उन्होंने कहा कि इस इलाके में वनाधिकार खत्म कर दिया गया, लोग प्रदूषित पानी से और बिमारी से मरते रहे, तीन साल का सूखा पड़ा, लोग भुखमरी की हालत में जीते रहे, मनरेगा में मजदूरी बकाया रही पर यहां के जनप्रतिनिधि मौन धारण किए रहे। ओबरा के विधायक तो सीट ही छोड़कर भाग गए। ऐसी हालत में दुद्धी से शुरू हुआ यह आंदोलन इस इलाके की राजनीति की तस्वीर और हालात को बदलने का काम करेगा।
सम्मेलन को जिला पंचायत सदस्य बिरझन पनिका, शाबिर हुसैन, प्रधान राजेन्द्र सिंह ओयमा, पूर्व प्रधान राम दुलारे गोंड़, पूर्व प्रधान शिवसरन पोया, पृथ्वी लाल,

पूर्व प्रधान रामकेश सिंह परस्ते, रामायन गोंड़, सुरेन्द्र पाल, रमेश खरवार, शिवसरन पोया आदि ने सम्बोधित किया।