लखनऊ: राज्य के युवाओं का कौशल विकास कर रोजगार हेतु उन्हें दक्ष बनाने, गांवों से शहरों की ओर पलायन रोकने, पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबन्धन में युवाओं की सहभागिता बढ़ाने, उन्हें राष्ट्रीय मूल्यों का वाहक बनाने, उनमें एकता और सामाजिक सौहार्द की भावना बलवती करने तथा सामाजिक कुप्रथाओं के निर्मूलन हेतु जागरुकता उत्पन्न करने के लिए उ0प्र0 राज्य युवा नीति-2016 प्रख्यापित की गयी है।
भारत सरकार के राष्ट्रीय युवा नीति-2014 में परिभाषित युवा आयु वर्ग 15 से 29 के स्थान पर कौशल विकास मिशन हेतु निर्धारित युवा वर्ग की आयु सीमा 14 से 35 वर्ष को राज्य युवा नीति मंे अंगीकृत किया गया है। युवा नीति में 5 उद्देश्यों- 1-एक सफल कार्यबल का गठन करना जो राज्य की अर्थव्यवस्था को विकसित करने की दिशा में स्थायी योगदान दे सके। 2- एक सशक्त और स्वस्थ पीढ़ी तैयार करना जो भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो। 3- सामाजिक मूल्यों की भावना मन में बैठाना और राज्य की जिम्मेदारी बढ़ाने के लिए सामुदायिक सेवा को प्रोत्साहित करना। 4- शासन के सभी स्तरों पर नागरिकों का सहयोग लेना और उनकी भागीदारी को आसान बनाना। 5- जोखिमग्रस्त युवाओं के लिए सहायता और लाभ से वंचित एवं सीमान्त युवाओं के लिए समतामूलक अवसर सृजित करना, के लिए 11 प्राथमिकताएं निर्धारित की गयी हैं।
राज्य युवा नीति-2016 की 11 प्राथमिकताएं शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास, उद्यमशीलता एवं सामाजिक सम्प्रेक्षण, स्वास्थ्य एवं स्वस्थ जीवन शैली, खेल, सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देना, सामुदायिक विनियोजन, लोकतांत्रिक व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण में सहयोग, युवाओं की भागीदारी, युवाओं का समावेशन तथा सामाजिक न्याय है। इन प्राथमिकताओं के सापेक्ष भावी आवश्यकताओं का चिन्हांकन भी किया गया है, जिसके अनुरूप राज्य युवा नीति-2016 का क्रियान्वयन किया जाएगा।
राज्य युवा नीति-2016 को कार्यान्वित करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समन्वय समिति गठित की जाएगी, जिसमें प्रमुख सचिव वित्त, प्रमुख सचिव नियोजन सहित सभी सम्बन्धित विभागों के प्रमुख सचिव/सचिव सदस्य होंगे। महानिदेशक, युवा कल्याण समन्वय समिति के सदस्य सचिव होंगे। भावी योजनाओं की परिकल्पना के केन्द्र में युवा रहें, इसलिए नियोजन विभाग में भी युवा प्रकोष्ठ गठित किया जाएगा। सरकार के सम्बन्धित विभागों द्वारा युवाओं के लिए बजट में प्राविधान भी कराया जाएगा। राज्य युवा नीति की प्रत्येक 5 वर्ष पर एक बार समीक्षा भी की जाएगी।