रियो डि जेनेरो: 36 साल से ओलिंपिक में मेडल के लिए तरस रही 8 बार चैंपियन रही भारतीय पुरुष हॉकी टीम का ग्रुप B में दूसरा मुकाबला पिछले दो बार (बीजिंग, 2008 और लंदन, 2012) की ओलिंपिक चैंपियन जर्मनी से हुआ, जिसमें उसे आखिरी कुछ सेकेंड में हुए गोल से हार का सामना करना पड़ा. चौथे और अंतिम क्वार्टर में आखिरी दो मिनट तक दोनों टीमें बराबरी पर थीं, लेकिन जर्मनी ने अंतिम समय पर गोल दाग कर 2-1 से जीत दर्ज कर ली. गौरतलब है कि भारतीय पुरुष हॉकी ने शुरुआती मैच में आयरलैंड के खिलाफ 12 साल बाद ओलिंपिक में जीत दर्ज की थी, लेकिन जर्मनी के खिलाफ नहीं वह इसे दोहरा नहीं पाई.
चौथे क्वार्टर में भारत ने हमले से शुरुआत की थी और उसने जर्मनी की रक्षापंक्ति को भेदने की शानदार कोशिश की, वह इसमें सफल भी हुई, लेकिन जर्मन गोलकीपर ने गोल होने से बचा लिया. इसके बाद जर्मनी को मैच का पहला पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन भारतीय बैकलाइन ने उसे नाकाम कर दिया.हेनर ने सुनील को बाधा पहुंचाई और भारत को मैच का तीसरा पेनल्टी कॉर्नर मिल गया, लेकिन जर्मनी के खिलाड़ियों ने बचाव कर लिया. इसके बाद तो भारत ने जर्मनी पर एक के बाद एक कई आक्रमण किए, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. जर्मनी ने भारतीय आक्रमण का जवाब आक्रमण से दिया और अंतिम कुछ सेंकेड में जबर्दस्त दबाव बनाया, जिसे भारत नहीं झेल सका. जर्मनी के क्रिस्टोफर रुर ने हमले की अगुवाई की और गेंद को रोमांचक ढंग से गोलपोस्ट में भेजने में कामयाब रहे. भारतीय गोलकीपर और कप्तान श्रीजेश ने शॉट को रोकने की भरपूर कोशिश भी की, लेकिन नहीं रोक पाए. इस प्रकार भारत को 2-1 से हार झेलनी पड़ी.
तीसरे क्वार्टर के लगभग बीच में भारत को एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन वह उसे गोल में नहीं बदल पाया. इससे पहले जर्मन टीम ने भारतीय रक्षापंक्ति को भेदने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुई. भारत ने भी कई बार हमले किए और एक बार तो फील्ड गोल का मौका भी बना, लेकिन रुपिंदर पाल ने गोल की ओर फ्लिक किया, लेकिन जर्मन गोलकीपर ने खूबसूरती से बचा लिया.
पहले क्वार्टर में मुकाबला बराबरी का रहने के बाद जर्मनी ने दूसरे क्वार्टर में हमलावर रुख अपनाया और तेज हॉकी का प्रदर्शन करते हुए भारतीय डिफेंडरों पर दबाव बना दिया. इस दबाव का उसे फायदा भी मिला, जब मैच के 18वें मिनट में जर्मनी के निक्लास वेलेन ने शानदार फील्ड गोल करके उन्हें 1-0 से बढ़त दिला दी. दबाव में दिख रही भारतीय टीम ने संभलकर खेलते हुए 23वें मिनट में आक्रमण किया और पेनल्टी कॉर्नर हासिल कर लिया. रुपिंदर पाल सिंह ने इसका फायदा उठाते हुए जर्मन गोलकीपर के दाईं ओर से गेंद को गोलपोस्ट में डाल दिया. रुपिंदर का रियो ओलिंपिक में यह तीसरा गोल रहा. दूसरा क्वार्टर 1-1 से बराबरी पर समाप्त हुआ.
पहले क्वार्टर में दोनों टीमों के बीच जोरदार संघर्ष हुआ लेकिन गोल करने में किसी भी टीम को कामयाबी नहीं मिल पाई. पहले क्वार्टर में भारत के आकाशदीप को रिवर्स हिट के जरिये गोल करने का मौका मिला था लेकिन उनके शॉट को जर्मन गोलकीपर ने रोक लिया. इसी दौरान भारत के रुपिंदर को गलत ढंग से टैकल करने पर जर्मनी के क्रिस्टोफर को ग्रीन कार्ड दिखाया गया. हालांकि भारत के उथप्पा को भी ग्रीन कार्ड मिला.
जर्मनी टीम ओलिंपिक गोल्ड की हैट्रिक बनाने पर निगाह लगाए है. वह पिछले 2008 बीजिंग और 2012 लंदन ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीत चुकी है. जर्मनी के खिलाफ ओलिंपिक में भारत का रिकॉर्ड भी उनके पक्ष में नहीं है. भारत ने जर्मनी के खिलाफ ओलिंपिक में अंतिम मैच 1996 अटलांटा खेलों में जीता था जिसमें उन्होंने शुरुआती मैच में 3-0 से जीत दर्ज की थी. सिडनी और एथेंस में भारत, जर्मनी से नहीं खेला था क्योंकि वह अलग पूल में था. हालांकि चार साल पहले लंदन में जर्मनी ने भारत को 5-2 से शिकस्त दी थी.