लखनऊ: प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के परम्परागत उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए तथा उन्हें प्रोत्साहित करने हेतु एक व्यापक कार्य योजना बनाई जा रही है। साथ ही साथ पीढ़ी दर पीढ़ी से चलने वाले उद्योगों तथा स्थानीय कच्चे माल पर आधारित उद्योगों को संरक्षित किये जाने का निर्णय भी उ0प्र0 खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग द्वारा लिया गया है। हर जनपद में यूनिक इन्डस्ट्री/ट्रेड का चयन कर कामन फैसिलिटी सेन्टर की स्थापना करवाने तथा गुणवत्ता नियंत्रण ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग पर विशेष ध्यान देने हेतु सभी जिला ग्रामोद्योग अधिकारियों एवं परिक्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा कार्यवाही की जा रही है।
श्रीमती मोनिका एस0गर्ग, प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग विभान ने आज यहां बताया कि हस्त कौशल तथा परम्परागत उद्योगों को संरक्षित रखने के लिए आधुनिक तकनीकी, प्रोडक्ट डेवलेपमेंट, डिजाइनिंग, पैकेजिंग को ध्यान मे रखते हुए, बैकवर्ड एवं फारवर्ड लिंकजेज़ स्थापित कराकर ग्रामीण उद्योगों को बड़े पैमाने पर बाजार का लाभ दिलाये जाने के संबंध में कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसका मूल उद्देश्य है कि ग्राहकों की आवश्यकता के अनुरूप नये उत्पादों को विकसित करके उद्यमियों को उनके सामान का अधिक मूल्य दिलाकर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सके।
प्रमुख सचिव ने बताया कि आगरा मण्डल मे ंचर्म वस्तु, काॅच का सामान एवं खादी, इलाहाबाद में बांसबेंत, शमसाबाद के पीतल एवं कांस्य के उत्पाद, बरेली मण्डल में पाटरी तथा चटाई का कार्य, चित्रकूट मण्डल में गोरा पत्थर के खिलौने एवं कलात्मक मूर्तियों के उद्यमों का चयन किया गया है। इनकी डिजाइनिंग तथा नये उत्पाद विकसित करने के लिए निफ्ट का सहयोग लिया जायेगा। साथ ही चार जनपदों मे मौनपालन उद्योग के आधुनिकीकरण पर ध्यान दिया जायेगा। बहराइच, बलरामपुर, श्रावस्ती तथा लखनऊ में मौनपालन के उद्यम कलस्टर में स्थापित कराने तथा उचित उद्यमी द्वारा कामन फैसिलिटी सेंटर एवं प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित किये जाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें शहद की टेस्टिंग एवं क्वालिटी के साथ-साथ इसके विविध उपयोगों हेतु कदम उठाएं जायेंगे।