टीकाकरण के अभाव में या बेअसर टीके दिये जाने के चलते, भारत में पांच वर्ष से कम उम्र के दो मिलियन से अधिक बच्चे हर वर्ष मृत्यु के शिकार हो जाते हैं और अन्य 1 मिलियन या इससे भी अधिक दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं। जिन प्रमुख कारकों के चलते टीके अनुपयोगी हो जाते हैं, उनमें से एक है – विशाल कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव। कई विकासशील देशों में अपर्याप्त कोल्ड चेन्स हैं – जिसका अर्थ है कि टीकों के परिवहन, भंडारण एवं इन्हें संभालने हेतु उपयुक्त तापमान-नियंत्रण क्रियाविधि मौजूद नहीं है। एक शोध अनुमान के अनुसार, विकासशील देशों में अनुपयुक्त रेफ्रिजरेशन के चलते लगभग 750 मिलियन डाॅलर मूल्य के लगभग 151 मिलियन टीकों का नुकसान हो जाता है।
8°ब् से अधिक तापमान होने पर सभी टीके अपना असर खो देते हैं, जबकि कुछ टीकों पर हिमीकरण तापमान का प्रभाव पड़ता है। यह नुकसान स्थायी होता है और इस तरह के प्रभावित टीकों का इस्तेमाल करने वाले किसी भी व्यक्ति पर इनका विपरीत असर पड़ सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि टीकों को नुकसान होने से बचाये रखने के लिए उन्हें 2-8°ब् के उपयुक्त तापमान पर रखा जाये।
घरेलू उपकरण उद्योग की प्रमुख कंपनियों में से एक, गोदरेज अप्लायंसेज ने यूके स्थित श्योर चिल कंपनी के साथ मिलकर पिछले वर्ष श्योर चिल तकनीक युक्त मेडिकल रेफ्रिजरेटर्स लाॅन्च किया। इन विशेषीकृत रेफ्रिजरेटर्स को खास तौर पर इसलिए डिजाइन किया गया ताकि लंबे समय तक बिजली की कटौती होने – जो कि विकासशील एवं अविकसित देशों के दूरदराज के देहाती इलाकों में आम बात है – के बावजूद टीकों और रक्त के लिए एकदम सही शीतलन समाधान उपलब्ध कराने की मुख्य आवश्यकता पूरी की जा सके। 13 दिनों के होल्डओवर समय एवं मात्र 2.5 घंटे प्रति दिन की विद्युत आवश्यकता के साथ, इस रेंज को परमसंकट की स्थितियों को संभालने के लिए डिजाइन किया गया।
इस अवसर पर, श्री जमशेद गोदरेज, प्रबंध निदेशक एवं चेयरमैन, गोदरेज ऐंड बाॅयस मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड ने कहा, ‘‘प्रतिरक्षण सभी स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में सबसे असरदार एवं किफायती है। प्रतिरक्षण के अभाव में न केवल परिवार प्रभावित होते हैं बल्कि राष्ट्र की उत्पादकता भी प्रभावित होती है और यह देश की स्वास्थ्य सेवा एवं सामाजिक कल्याण प्रणाली के लिए एक बोझ है। इस दिशा में किये गये सभी प्रयासों के बावजूद, वैश्विक रूप से प्रभावी प्रतिरक्षण एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है। हमारा मानना है कि प्रतिरक्षण की बात आने पर, बर्बादी की लागत को डाॅलर में नहीं मापा जाना चाहिए बल्कि इसे गंवाई जा चुकी जिंदगियों से जोड़ कर देखा जाना चाहिए। प्रभावी प्रतिरक्षण कार्यक्रम की सबसे बड़ी बाधा पर्याप्त कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है।