गौतमबुद्धनगर में किसानों की महापंचायत, नए भूमि अधिग्रहण कानून का जमकर विरोध 

गौतमबुद्धनगर: कंपनी सरकार में सिर्फ उद्योगपतियों के आए ’’अच्छे दिन’’, उपरोक्त शब्द पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री भारत सरकार, जयराम रमेश ने अलीगढ़ सीमा पर स्थित जनपद गौतमबुद्धनगर के ग्राम चौरोली में किसानों की एक महापंचायत में कहे। जंतर-मंतर पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के प्रदर्शन से ठीक एक दिन पूर्व किसानों की इस महापंचायत में मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों और काले अध्यादेश पर खुलकर चर्चा हुई तथा कांग्रेस पार्टी द्वारा 25 फरवरी  को जंतर-मंतर पर देश के किसानों के हित में किये जा रहे प्रदर्शन को एक ताकत मिलने की संभावना नजर आयी।

पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि ’’भूमि अधिग्रहण कानून 2013 पर लाये गये इस काले अध्यादेश ने भू-अधिग्रहण कानून 2013 के मूल सिद्धान्त को उखाडकर फेंक दिया है। यूपीए सरकार ने जो भूमि अधिग्रहण कानून किसानों के लिए बनाया था, जिसके अनुसार किसान से जबरदस्ती जमीन नही ली जा सकती थी, उस कानून को, मोदी सरकार ने चंद लम्हों में एक अध्यादेश के माध्यम से बदल दिया। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में कलेक्टर के अधिकार ग्राम पंचायत को दिये थे, लेकिन अध्यदेश ने किसान का अधिकार छीनकर पुनः कलेक्टर को शक्ति प्रदान की है।”  पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जी ने आगे कहा कि ’’संसद के अन्दर, मैं आपकी वकालत करूंगा और संसद के बाहर आप किसानों की लडाई जारी रखो।  मोदी सरकार पर तंज कसते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि ’’आज भाजपा के बुरे वक्त के साथ आडवाणी की जगह अडानी तथा अटल बिहार बाजपेयी की जगह लोग अंबानी का नाम लेने लगे है।”    

ज्ञात रहे कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 पर लाये गये अध्यादेश के खिलाफ किसान अब मोदी की करनी और कथनी में फर्क को जानने लगे है। देश के 70 प्रतिशत किसानों के अस्तित्व और भविष्य के साथ एक काले अध्यादेश के माध्यम से खिलवाड किया गया है। 

भारत सरकार के पूर्व खेल मंत्री जितेन्द्र सिंह ने किसानों की पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि ’’मोदी की नीतियों का पालन करने से भारत का भविष्य उज्जवल नही रहेगा, गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों के दौरान ’’अच्छे दिन’’ का नारा बीजेपी का थीम प्रचार था। उ़द्योगपतियों की इस सरकार ने पहला हमला, किसान व गरीबों पर किया है। भूमि अधिग्रहण कानून की लडाई, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शुरू की थी और पूरे देश में पद यात्राओं के माध्यम से लोगों से सलाह मशविरा करने के पश्चात ही किसानों की भावनायें 2013 के भूमि अधिग्रहण के कानून के रूप में लिपिबद्ध की गयी।  भारत का भू-अधिग्रहण कानून 2013 विश्व के श्रेष्ठ दस अच्छे भू-अधिग्रहण कानूनों में शुमार किया गया था। मोदी सरकार, रिलांयस जैसी बडी-बडी कंपनियों को फायदा पहुॅचाने के उददेश्य से, इस काले अध्यादेश को लेकर आयी है। भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में जो जमीन 05 वर्ष के अन्दर इस्तेमाल नही होती है, उसे किसान को वापिस दे दी जाती थी, अब ये शर्त खत्म कर दी गयी है।”  

आॅल कांग्रेस कमेटी के अनूसूचित जाति विभाग के चैयरमेन के. राजू ने कहा कि ’’राहुल गांधी, कडी मशक्कत करने के बाद ही, इस कानून को संसद में पास करा पाये थे, जिसके बाद हिन्दुस्तान के किसान व मजदूरों ने ब्रितानियां हुकूमत से मुक्ती पायी थी।’’

किसान पंचायत के संयोजक व उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता धीरेन्द्र सिंह ने पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि ’’अब मोदी सरकार की इन कुटिल चालों को किसान समझ चुके हैं। ये सरकार आसानी से नही मानेगी, क्योंकि सरकार पर पूंजीपतियों व उद्योगपतियों का हाथ है। हम इस कंपनी सरकार के द्वारा लाये गये इस काले अध्यादेश के खिलाफ किसान व गरीबों की लडाई को जारी रखेंगे। मोदी जी उघोगपतियों की बेहतरी के बारे में सोचते हैं, गरीबों एंव किसानों के लिए नही। सडकों पर प्रदर्शन के मध्यम से किसानों की आवाज को संसद तक पहुॅचाना हम बखूबी जानते हैं। आगामी 25 फरवरी 2015 को किसानों का सैलाब दिल्ली की सडकों पर मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करता नजर आयेगा।’’  

पंचायत की अध्यक्षता चौरोली के राजा नम्बरदार ने की तथा संचालन मेघराज सिंह व राजवीर सिंह ने संयुक्त रूप से किया तथा पंचायत में शामिल होने वालों में मुख्य रूप से लाला बरूआ, विनोद सिंह, देवेन्द्र सिंह, गौतमबुद्धनगर कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष हाजी तफसीर आलम, ब्लाक कांग्रेस कमिटी दनकौर राम सिंह नेता जी, राजू, राजवीर सिंह चैरोली, शाहिद मंजूर, सुरेशचंद शर्मा, रामवीर सिंह, अुर्जन सिंह, नीरपाल सिंह, हाजी उस्मान खांन, जब्बार अली, राहत प्रधान जी तिरथली, इकबाल खांन, कामरेड सगीर नेता जी, इकराम खान, जाकिर प्रधान, अमित कौशिक, मोज्ज़म खान, राजेंद्र सिंह, मोहन सिंह, मुरलीधर शर्मा, रामेन्द्र चौधरी, के एल शर्मा,   आश मौहम्मद नेता जी, हरपाल सिंह, जुगेन्द्र सिंह, कल्लू खां, बब्लू चैधरी, फाजिल खांन, सुहैल, तरीखत खांन आदि लोग उपस्थित रहे।