यदि लोहिया आज जिंदा होते तो शायद यूपी सीएम के हावर्ड के सरकारी विदेश दौरे पर खून के आँसू रो रहे होते पर दुर्भाग्य है कि खुद को लोहिया का उत्तराधिकारी कहने बाले आज के कथित समाजवादियों को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा है उल्टे वे तो इसे तर्कसंगत बताने को सारे कुतर्क गढ़ लेंगे. पर क्या पैसों की कमी का रोना रोकर दलित छात्रों का प्री-मेट्रिक बजीफ़ा तक बंद करने बाले यूपी के सीएम अखिलेश यादव द्वारा हावर्ड यात्रा में जनता के एक करोड़ से ज़्यादा रुपये फूँक दिए जाने को लोहिया का समाजवाद कहते हैं जहाँ समाज का वंचित वर्ग वंचित ही रहे और राजनेता अपनी एक निरर्थक विदेश यात्रा में एक करोड़ से ज़्यादा फूँक आयें ?
मैं यूपी सीएम अखिलेश यादव के उसी हावर्ड दौरे की बात कर रहा हूँ जहाँ अखिलेश अपने 12 सदस्यीय शिष्टमंडल के साथ साल 2013 में यूनिवर्सिटी के एनुअल सिँपोसियम में भाग लेने गये थे पर आज़म ख़ान की तलाशी के कारण यह दौरा विवादित हो गया और अखिलेश कार्यक्रम में शिरकत किए बिना ही लौट आए थे. मेरी एक आरटीआई के जबाब से यह सामने आया है कि इस दौरे पर गये 11 लोगों का खर्चा राज्य सरकार ने उठाया और एक सदस्य विजय कुमार यादव अपने खर्चे पर अखिलेश के साथ शायद अपने निजी हित साधने यू एस ए गये थे. मेरा मानना है कि हावर्ड यूनिवर्सिटी के एनुअल सिँपोसियम में भाग लेने यू एस ए गये अखिलेश समेत 12 सदस्यीय शिष्टमंडल के इस विवादित दौरे से प्रदेश को कोई लाभ नही हुआ है.
मेरी आरटीआई के जवाब में उत्तर प्रदेश के सचिवालय प्रशासन विभाग के संयुक्त सचिव एवं जन सूचना अधिकारी शैलेंद्र कुमार की ओर से जो उत्तर मिला है, उसने अखिलेश के विदेश दौरों की शाहख़र्ची की पोल खोल दी है. शैलेंद्र कुमार ने अभी अखिलेश की एक विदेश यात्रा की सूचना दी है और
बाकियों की सूचना मिलना अवशेष है. शैलेंद्र कुमार ने मुझे बताया है कि हावर्ड यूनिवर्सिटी के एनुअल सिँपोसियम में भाग लेने हेतु यूएसए के दो दिवसीय दोरे में अखिलेश यादव के शिष्टमंडल की हवाई यात्रा पर 52 लाख 50 हज़ार और होटल में ठहरने आदि पर 53 लाख 78 हज़ार 338 रुपयों की भारीभरकम धनराशि खर्ची गयी. इस प्रकार अखिलेश यादव के शिष्टमंडल के हावर्ड यूनिवर्सिटी के इस दौरे पर यूपी के राजकोष से 01 करोड़ 06 लाख 28 हज़ार 338 रुपयों की भारीभरकम धनराशि खर्ची गयी.
पैसों की कमी का रोना रोकर प्रदेश के दलित छात्रों का प्री-मेट्रिक बजीफ़ा तक बंद करने बाले यूपी की सरकार की इस मंहगी यात्रा पर की गयी शाहख़र्ची से खुद को समाजवादी कहने बाली अखिलेश सरकार की कार्यप्रणाली एक बार फिर कठघरे में है. अखिलेश यादव की इस प्रकार की कार्यप्रणाली को मैं लोहियवादी समाजवादी कार्यप्रणाली से असामान्य विचलन मानता हूँ जो एक लोकतन्त्र में सामान्यतया अस्वीकार्य है और मैं इस संबंध में अपनी भावनाओं को पत्र के माध्यम से सूबे के राज्यपाल राम नाइक और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अवगत भी करा रहा हूँ.
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