नई दिल्ली : काफी गहमागहमी भरा दिल्ली विधानसभा का चुनाव प्रचार आज शाम थम गया। सात फरवरी को होने वाले इस चुनाव में भाजपा ने तेजी से उभरी आम आदमी पार्टी को शिकस्त देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि का भरपूर इस्तेमाल किया।

नयी दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के रोडशो और सुलतानपुर माजरा में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के रोडशो के साथ ही यहां विभिन्न दलों के नेताओं की करीब 100 रैलियों का सिलसिला शाम छह बजे थम गया। इस चुनाव प्रचार में राजनीतिक दलों ने एक दूसरे पर बड़े तीखे आरोप-प्रत्यारोप लगाए। प्रचार के समापन के बाद अब बड़े दलों के कार्यकर्ता 70 विधानसभा सीटों में घर घर जाकर समर्थन जुटाने में लग गए हैं।

पिछले 16 साल से दिल्ली में सत्ता से बाहर रही भाजपा ने टीम अन्ना की पूर्व सदस्य किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार बनाकर एक दांव चला । वैसे बताया जाता है कि इससे पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में असंतोष पैदा हो गया। भाजपा की रणनीति का केजरीवाल की अगुवाई वाली आप ने मुकाबला किया और उसने मोदी लहर को रोकने के अपने प्रयास के लिए जमकर संगठित अभियान चलाया।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू जैसे भाजपा नेताओं ने एहतियात बरतते हुए पहले ही कह दिया है कि दिल्ली चुनाव मोदी सरकार के कामकाज पर जनमत संग्रह नहीं है। इस बयान केा आलोचक प्रधानमंत्री को आलोचना से बचाने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं। दिसंबर, 2013 तक पंद्रह साल दिल्ली पर शासन करने वाली कांग्रेस को चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में आप और भाजपा के बाद तीसरे स्थान पर दिखाया गया है। कुछ ओपिनियन पोलों में आप को स्पष्ट बहुमत मिलने के आसार हैं जबकि कुछ ने भाजपा की जीत का अनुमान लगाया है।

अपने अंदरूनी एवं मीडिया सर्वेक्षणों में अपने लिए अच्छी तस्वीर सामने नहीं आने पर भाजपा ने चुनाव प्रचार में अपने 120 सांसदों एवं राज्यों के नेताओं के साथ साथ केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अरूण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, उमा भारती और एम वेंकैया नायडू समेत अपने शीर्ष नेताओं को उतार दिया। भाजपा के चुनाव प्रचार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पांच रैलियों को संबोधित करने के साथ तेजी मिली। अपनी रैलियों में मोदी ने मुख्य रूप से आप को निशाना बनाया और लोगों से उन्हें दिल्ली को विकास की नयी उंचाइयों तक ले जाने में मदद पहुंचाने के लिए एक मौका प्रदान करने की अपील की।

आप ने अपना रूख बदला और घर घर जाकर मिलने और नुक्कड़ सभाएं करने पर ध्यान केंद्रित किया। प्रचार की समाप्ति से पहले उसे अपने विद्रोहियों के अभियान से दो चार होना पडा। उसके कुछ पूर्व सदस्यों ने पिछले साल अप्रैल में लिए गए 50-50 लाख रूपए के चार चेकों को लेकर उस पर चंदा के संदिग्ध तौर तरीके का आरोप लगाया।

भाजपा ने इस मुद्दे को लपक लिया और यह कहते हुए आप पर करारा वार किया कि वह अपने भाषणों में उच्च नैतिक मापदंडों की बात कहती है लेकिन आचरण में उसके बिल्कुल उलटा कर रही है। मोदी और जेटली द्वारा चंदे के इस मुद्दे पर करारा प्रहार करने पर केजरीवाल ने सरकार को उन्हें गिरफ्तार करने की चुनौती दी और कहा कि आप किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन को अपनी पार्टी के प्रचार अभियान समिति के रूप में पेश करने वाली कांग्रेस ने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को चुनाव मैदान में उतार दिया जिन्होंने क्रमश: एक और पांच रैलियों को संबोधित किया। वर्ष 2013 के चुनाव से त्रिशंकु विधानसभा बनी थी जहां भाजपा ने सर्वाधिक 31, आप ने 28 और कांग्रेस ने आठ सीटें जीती थीं। अन्य के खाते में तीन सीटें गयी। आप-कांग्रेस गठजोड़ महज कुछ समय चला क्यांेकि केजरीवाल ने 49 दिनों में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

‘भगोड़ा’ नेता की छवि का मुकाबला करने के लिए केजरीवाल ने अपने इस्तीफे के लिए माफी मांगी और अपने विरोधियों को निहत्था कर दिया। उन्होंने कहा कि वह भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहरायेंगे। विधानसभा के इस चुनाव मैदान में कुल 673 प्रत्याशी हैं। बुराड़ी विधानसभा सीट पर सर्वाधिक 18 उम्मीदवार हैं जबकि अंबेडकर विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम चार प्रत्याशी हैं।

किरण बेदी कृष्णा नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं और वहां 13 उम्मीदवार हैं। एक अहम सीट सदर बाजार है जहां से कांग्रेस नेता अजय माकन चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि दिल्ली में 1.33 करोड़ मतदाता हैं जिनमें से करीब ड़ेढ़ लाख पहली बार मतदाता बने हैं। मतदान के लिए 11,763 मतदान केंद्र बनाए गए हैं । चुनाव आयोग ने कहा कि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मतदान के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किया गया है।

भाजपा ने घोषणापत्र के स्थान पर विजन डॉक्यूमेंट पेश किया जिसमें पार्टी ने दिल्ली को विश्वस्तरीय शहर बनाने के लिए रोडमैप पेश किया। हालांकि उसने राष्ट्रीय राजधानी को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के विषय पर अपना रूख स्पष्ट नहीं किया। पार्टी ने वर्ष 2013 और उससे पहले के चुनावों में अपने घोषणापत्रों में दिल्ली केा पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का वादा किया था।