लखनऊ:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से चीनी के मूल्यों को स्थिर रखने के लिए राॅ चीनी के निर्यात की सब्सिडी 4000 रुपए प्रति टन किए जाने तथा इस सब्सिडी को कम से कम 20 लाख टन के निर्यात हेतु चीनी उद्योग को प्रदान किए जाने का अनुरोध किया है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि केन्द्र सरकार द्वारा चीनी पर निर्धारित किए जाने वाले आयात शुल्क की वर्तमान दरों को बढ़ाते हुए 25 से 40 प्रतिशत किया जाए। इससे उत्तर प्रदेश के गन्ना कृषकों को लाभकारी गन्ना मूल्य मिल सकेगा तथा चीनी उद्योग की सम्पोषकीयता भी बनी रहेगी।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को इस सन्दर्भ में लिखे पत्र में अवगत कराया है कि भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना कृषकों को गन्ना मूल्य भुगतान सुनिश्चित कराए जाने के उद्देश्य से गत पेराई सत्र एवं वर्तमान पेराई सत्र में उपलब्ध कराई गई वित्तीय सहायता के बावजूद भी गन्ना भुगतान की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हो सका है। इसके दृष्टिगत उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग में चीनी के बाजार मूल्य में गत वर्ष से निरन्तर अप्रत्याशित कमी होने का आधार देते हुए मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि चीनी उद्योग को और अधिक रियायतें/वित्तीय सहायता प्रदान की जाए, जिससे वे गन्ना मूल्य भुगतान करने हेतु वित्तीय सम्पोषकीयता बनाए रखते हुए सक्षम हो सके।

श्री यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश भारतवर्ष का सर्वाधिक गन्ना क्षेत्रफल तथा गन्ना उत्पादन वाला राज्य है। चीनी उद्योग राज्य का सबसे महत्वपूर्ण ग्रामीण उद्योग है तथा गन्ना प्रमुख नकदी फसल है, जिसमें 32 लाख से अधिक कृषक परिवार तथा 2 लाख से अधिक श्रमिकों के साथ-साथ प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से हजारों लोग जुड़े हुए हैं। प्रदेश में वर्तमान में 123 चीनी मिलें संचालित हैं।

मुख्यमंत्री ने पत्र में उल्लेख किया है कि पेराई सत्र 2014-15 गतिमान है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को गन्ने की निर्बाध आपूर्ति बनाए रखने तथा गन्ना कृषकों को लाभकारी मूल्य दिलाने की दृष्टि से राज्य सरकार द्वारा प्रति वर्ष ‘राज्य परामर्शित गन्ना मूल्य (एस0ए0पी0)’ निर्धारित किया जाता है। गत पेराई सत्र 2013-14 से चीनी के बाजार मूल्य में निरन्तर हो रही गिरावट के कारण गन्ना मूल्य भुगतान करने में चीनी मिलों को हो रही कठिनाई एवं इसके फलस्वरूप कृषकों को गन्ने का मूल्य समय से नहीं मिल पाने की स्थिति के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा किए गए अनुरोध के क्रम में भारत सरकार द्वारा ‘ब्याज उपादान योजना’ लागू की गई है। इसके अन्तर्गत चीनी मिलों को ब्याजरहित ऋण बैंकों से दिलाए गए तथा राज्य सरकार के स्तर पर कृषक हित में चीनी मिलों को गन्ना क्रय कर, चीनी पर प्रवेश कर से छूट तथा चीनी मिलों द्वारा देय सोसायटी कमीशन की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा दिए जाने के साथ ही गन्ना मूल्य के पूर्ण भुगतान पर 6 रुपए प्रति कुन्तल की दर से अतिरिक्त सहायता भी प्रदान की गई, किन्तु बाजार में चीनी के मूल्यों में उत्तरोत्तर गिरावट बने रहने के दृष्टिगत पेराई सत्र 2013-14 की भांति ही वर्तमान पेराई सत्र 2014-15 के लिए राज्य सरकार द्वारा गन्ने के ‘राज्य परामर्शित मूल्य (एस0ए0पी0)’ में कोई वृद्धि नहीं की गई।

गत पेराई सत्र 2013-14 के अनुरूप ही, वर्तमान पेराई सत्र 2014-15 में भी चीनी की बाजार दरों में गिरावट दर्ज की गई है, जिसके दृष्टिगत वर्तमान पेराई सत्र 2014-15 में भी गन्ना कृषकों के हित में गन्ना मूल्य भुगतान सुनिश्चित कराए जाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा उपरोक्तानुसार गन्ने का ‘राज्य परामर्शित मूल्य (एस0ए0पी0)’ निर्धारित करने के अतिरिक्त इस वर्ष भी चीनी मिलों को गन्ना क्रय कर, चीनी पर प्रवेश कर से छूट एवं चीनी मिलों द्वारा देय सोसायटी कमीशन की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा दिए जाने के साथ ही 8.60 रुपए प्रति कुन्तल की अतिरिक्त सहायता (कुल 20 रुपए प्रति कुन्तल) प्रतिपूर्ति के रूप में दिए जाने तथा राज्य सरकार द्वारा वर्तमान पेराई सत्र हेतु गन्ने के घोषित ‘राज्य परामर्शित मूल्य (एस0ए0पी0)’ के अनुसार किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान दो किश्तों में किए जाने का निर्णय लिया गया है। तद्नुसार पहली किश्त मिल को गन्ना आपूर्ति के 14 दिन के अन्दर 40 रुपए कम की दर से भुगतान किए जाने अर्थात् 240 रुपए प्रति कुन्तल की दर से तथा अवशेष दूसरी किश्त पेराई की समाप्ति की तिथि से 3 माह के अन्दर चीनी मिलों द्वारा किया जाएगा। उक्त के अतिरिक्त चीनी मिलों को 20 रुपए प्रति कुन्तल की दर से अतिरिक्त सहायता दिए जाने के सम्बन्ध में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किए जाने एवं उक्त समिति द्वारा 01 अक्टूबर, 2014 से 31 मई, 2015 (आठ माह) के दौरान चीनी, शीरा, वगास व प्रेस मड के औसत बाजार मूल्य के आधार पर दी जाने वाली संस्तुति के आधार पर लिए जाने वाले निर्णय के अनुसार अनुमन्य की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की चीनी मिलों की दयनीय वित्तीय स्थिति का यह प्रभाव पड़ा है कि यद्यपि प्रदेश के गन्ना कृषकों को गत पेराई सत्र 2013-14 में कुल देय गन्ना भुगतान 19388.17 करोड़ रुपए के सापेक्ष अभी तक 96.22 प्रतिशत का भुगतान हो पाया है, परन्तु वर्तमान पेराई सत्र 2014-15 में कुल देय गन्ना भुगतान 10034.71 करोड़ रुपए के सापेक्ष अभी तक मात्र 62.23 प्रतिशत का ही भुगतान चीनी मिलों द्वारा किया जा सका है।

श्री यादव ने पत्र में उल्लेख किया है कि उत्तर प्रदेश व देश के अन्य चीनी उत्पादक प्रदेशों में पेराई सत्र अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। यदि चीनी निर्यात सब्सिडी और आयात शुल्क की दरों में बढ़ोत्तरी के सम्बन्ध में निर्णय लेने में विलम्ब होता है, तो चीनी मिलें राॅ चीनी का उत्पादन नहीं करेंगी और उन्हें लाभ नहीं मिलेगा, तो चीनी के मूल्यों को स्थिर करने में कठिनाई होगी। इस परिप्रेक्ष्य में उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग के समक्ष उत्पन्न वित्तीय संकट को दूर किए जाने की दिशा में केन्द्र सरकार प्रभावी सहयोग करते हुए तत्काल सहायता प्रदान करे।