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गौरी हत्याकांड के विरोध में कांग्रेस का धरना प्रदर्शन

लखनऊ: गौरी हत्याकांड के विरोध में कांग्रेसियों ने आज गांधी प्रतिमापर धरना दिया । नेतृत्व उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सचिव शबनम पाण्डे ने किया। धरने में मृतक गौरी की मां तृप्ता श्रीवास्तव सहित सैकड़ो महिलाओं एवं पुरूषांे व स्थानीय नागरिको ने हिस्सा लिया। वक्ताओं ने गौरी हत्याकांड पर अपना रोष व्यक्त करते हुए एक बालिग छात्रा की नृशंस हत्या की निंदा की और कहा कि राजधानी में घटी इस घटना ने उत्तर प्रदेश सरकार के महिला सुरक्षा पर किये जा रहे दावों पर प्रश्न चिह्नन लगा दिया है। उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था दिन प्रतिदिन बद से बबदतर होती जा रही है। छेड़खानी, बलात्कार तथा दर्दनाक हत्याओं का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है और दोषी खुलेआम घूम रहे हंै। 

उत्तर प्रदेश महिला आयोग की एक सदस्या ने कल अपने बयान में खुद पीडि़ता को ही दोषी ठहरा दिया। उन्होने कहा कि लड़कियों को दोस्ती जांच परख कर करनी चाहिए। इस तरह का बेतुका तथा महिलाओं को शर्मसार करने वाला बयान देकर उन्होंने अपने पद एवं कर्तव्यों का मजाक उडाया है। इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान कतई स्वीकार नही किया जायेगा, ना ही ऐसी घटनाओं को नजरअंदाज किया जायेगा क्योकि भारत के कानून में किसी को भी कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। आये दिन हो रही ऐसी नृशंस हत्याएं एवं घटनाओं ने लखनऊ की छात्राओं एवं महिलाओं के दिल में भय व्याप्त कर दिया है। पिछले साल रेशमा तेजाब कांड ने लखनऊ को दहला कर रख दिया था। परन्तु फिर भी लखनऊ जिले में लगातार बलात्कार तथा अन्य प्रकार के वारदात महिलाओं के साथ होते जा रहें हैं और उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन जरा भी सचेत एवं सजग नही हुआ है। उल्टा सत्ताधारी नेताओं तथा प्रशासन के बेतुके बयान ने पीडित को ही कटघरे में खड़ा करते हुए आरोपियों का हौसला बुलंद कर दिया है। इस तरह की घटनाएं महिला हेल्प लाइन तथा पुलिस प्रशासन के कार्यशैली की निरर्थकता को बयान करती हैं। 

लोगो ने “गौरी के हत्यारो को गिरफ्तार करो, गौरी को न्याय दो”, “पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद”, “महिला अत्याचार बंद करो”, ”दोषियो को गिरफ्तार करो“, “न्याय नही तो सरकार नही”, “बेतुके बयान बंद करो” सहित सैकड़ो नारे लगाये।

सभा में हर्षित मेघलानी की हत्या का विषय भी उठाया गया और इस बात की नाराजगी जताई गई कि यदि परिवार द्वारा रिपोर्ट किये जाने के साथ ही पुलिस द्वारा जांच शुरू हो जाती तो सम्भवतः हर्षित मेघलानी की जान बचायी जा सकती थी। पुलिस की लापरवाही से एक और जान गयी। इस मामले में भी जल्द से जल्द अपराधियो को पकड़े जाने की भी मांग उठी। 

धरना तथा श्रद्वांजली सभा के द्वारा सभी वक्ताओं ने अपना आक्रामक आक्रोश व्यक्त करते हुए अपराधियों को गिरफ्तार करने, पीडि़त परिवार को मुआवजा देने तथा इस तरह की जघन्य घटनाओं पर लगाम लगाने की मांग की है। 

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