नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ में कुछ भी अपमानजनक नहीं है और इन आरोपों में कोई दम नहीं है कि फिल्म हिन्दू संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को चोट पहुंचाती है।

मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति आरएस एंडला की पीठ ने कहा कि फिल्म में कुछ भी गलत नहीं है और गुणदोष के आधार पर विस्तृत आदेश जारी किया जाएगा। पीठ ने कहा कि फिल्म में क्या गलत है? आप हर चीज का बुरा नहीं मान सकते। हमें याचिका में बताए आरोपों में कोई दम नहीं लगी। हम गुणदोष के आधार पर आदेश पारित करेंगे। सुनवाई के दौरान, अतिरिक्त सालिसिटर जनरल संजय जैन ने अदालत से कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही इसी तरह की एक याचिका खारिज कर चुका है।

उन्होंने कहा कि फिल्म के प्रमाणन के खिलाफ अपील दायर करने का प्रावधान है। इस पर, अदालत ने कहा कि प्रमाणन के खिलाफ अपील का अधिकार फिल्म निर्माताओं तक सीमित है, यह किसी बाहरी व्यक्ति के लिए नहीं है। उच्च न्यायालय अजय गौतम की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में फिल्म ‘पीके’ से ‘आपत्तिजनक’ दृश्यों को हटाने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुये दावा किया गया था कि फिल्म की सामग्री ने हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।