लखनऊ
रोजगार के सवाल पर युवाओं के आंदोलन के समर्थन में किसानों की देशव्यापी पहल को स्वागतयोग्य बताते हुए युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने कहा कि जिन कारपोरेट हितैषी अर्थनीति के चलते खेती किसानी तबाह हो रही है, उन्हीं नीतियों की वजह से आजीविका का गंभीर संकट पैदा हुआ है। ऐसे में किसानों व युवाओं की एकजुटता बेहद जरूरी है। इसके अलावा मजदूरों व व्यापारियों पर भी चौतरफा हमला किया जा रहा है। इन सभी तबकों को कारपोरेट अर्थनीति में बदलाव के लिए जनपक्षधर नीतियों के निर्माण के लिए एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हाल में अग्नि पथ स्कीम के विरोध में युवाओं के गुस्से को देश में भयावह हो रहे रोजगार संकट के परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है। इसी संदर्भ में युवा मंच ने आज प्रधानमंत्री मोदी को पत्र ट्वीट कर आगामी मानसून सत्र में रोजगार संकट के हल के लिए संसद में चर्चा करने और इसके लिए रूपरेखा तैयार करने की अपील की है।

पत्र में जिक्र किया गया है कि प्रतिष्ठित संस्थाओं के युवा भी दर दर भटक रहे हैं। केंद्र सरकार और राज्यों द्वारा रोजगार संकट समाधान के संबंध में जो प्रयास किये भी गये हैं वो अपर्याप्त हैं और युवा सरकार के प्रयासों व बयानबाजी से आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं, ऐसे में आगामी मानसून सत्र में इस पर चर्चा बेहद जरूरी है। जिससे आजीविका संकट हल के लिए रूपरेखा तैयार हो सके।

केंद्र सरकार, राज्यों समेत पब्लिक सेक्टर व अनुदानित संस्थाओं में रिक्त पड़े 60 लाख पदों को भरने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम के लिए कानूनी प्रावधान करने, आउटसोर्सिंग, संविदा और निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोका जायें। रोजगार को मौलिक अधिकार बनाया जाये। कारपोरेट पर संपत्ति-उत्तराधिकार कर लगाया जाये और कारपोरेट कंपनियों के लाखों करोड़ के कर्ज व टैक्स माफी पर रोक लगाई जाये और रोजगार विहीन विकास के माडल के बजाय रोजगार परक माडल जैसे मुद्दों की ओर प्रधानमंत्री मोदी का पत्र के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराया गया है।