राजेश सचान, संयोजक युवा मंच

हाल में प्रमुख समाचारों में योगी सरकार द्वारा दिये गए विज्ञापनों 4.5 लाख सरकारी नौकरी(नियमित) 4.5 साल के कार्यकाल में देने का दावा किया गया है। 4.5 लाख सरकारी नौकरी के इस दावे के चंद रोज पहले तक दिल्ली समेत देश भर में बड़े बड़े होल्डिंग लगाये जा रहे थे जिसमें 4 लाख सरकारी नौकरी का प्रचार देखा जा सकता है। इन चंद दिनों के अंतराल में 50 हजार नौकरी प्रचार में जुड़ गई। जबकि 69000 शिक्षक भर्ती में शेष बचे 6 हजार पदों पर नियुक्ति के अलावा और कोई नियुक्ति पत्र भी इस अवधि में नहीं दिया गया। इसके पूर्व अमर उजाला के लखनऊ संस्करण में 24 जुलाई 2021 को प्रकाशित सरकारी आंकड़ों के अनुसार 3.44 लाख नियमित नौकरी, 45546 संविदा और 273657 आउटसोर्सिंग में नौकरी का दावा किया गया था। इसी समाचार में 74 हजार पदों पर कार्यवाही तेज होने का दावा किया गया वास्तव में जिसका अस्तित्व ही नहीं है।

3.44 लाख सरकारी नौकरी देने के आंकड़े का विश्लेषण करने के पहले यह समझना जरूरी है कि योगी सरकार के सत्तारूढ़ होने के वक्त कर्मचारियों व शिक्षकों की तादाद में कितनी बढ़ोतरी हुई है और आज प्रदेश में रिक्त पदों का बैकलॉग कितना है और इन सालों में कितने पदों को खत्म कर दिया गया है। सबसे पहले योगी सरकार ने चतुर्थ श्रेणी के तकरीबन 3.5 लाख स्वीकृत पदों को खत्म कर दिया गया। इसके अलावा प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य के पदों समेत हजारों पदों व विभागों को अनुपयोगी बताते खत्म किया जा चुका है। इन खत्म किये गए पदों के बावजूद प्रदेश में अभी भी कर्मचारी-शिक्षकों के तकरीबन 21 लाख स्वीकृत पदों के सापेक्ष 5 लाख से ज्यादा पद रिक्त पड़े हुए हैं। इन सभी रिक्त पदों को भरने का वादा भाजपा ने अपने मैनीफेस्टो में किया था। अगर अखबार में प्रकाशित 3.44 लाख सरकारी नौकरी के अधिकृत आंकड़े को सही मान लिया जाये तो भी इसमें 1.37 लाख शिक्षक पद शामिल हैं जो पहले से ही सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थे और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बर्खास्तगी के उपरांत रिक्त हुए पदों भरने का आदेश था, इसमें नया रोजगार सृजन नहीं हुआ बल्कि जो पद योगी सरकार के कार्यकाल में खत्म हुए उन्हें ही भरा गया। इसके अलावा भी जो भर्तियां संपन्न हुई हैं उसमें 2018 में विज्ञापित पुलिस भर्ती के तकरीबन 90 हजार पदों को छोडकर ज्यादातर भर्तियां पिछली सरकार।द्वारा विज्ञापित की गई थीं। दरअसल योगी सरकार ने बैकलॉग को नहीं भरा है और जो रूटीन भर्ती की है उतने पद रिटायरमेंट व 1.37 लाख शिक्षकों की बर्खास्तगी से रिक्त हुए पद़ो के तकरीबन बराबर हैं। यही वजह है कि तमाम प्रमुख विभागों में 30-70 फीसद तक पद रिक्त हैं।

आउटसोर्सिंग में 2.73 लाख पदों पर भर्ती करने की बात है, यह सरासर झूठ है। आउटसोर्सिंग कंपनियों में किसी तरह की नयी भर्ती नहीं हुई है। ऐसी कहीं से रिपोर्ट नहीं है कि आउटसोर्सिंग कंपनियों ने कोई नया काम शुरू किया हो। संविदा के तहत रखे गए मजदूर जो पहले संविदाकार के अंतर्गत नियोजित थे, अब उन्हीं का नियोजन आउटसोर्सिंग कंपनियों के तहत है।

इसी तरह 74 हजार पदों कार्यवाही तेज होने की जो बयानबाजी व प्रोपेगैंडा है वह तो वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं है। इसमें अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से 22 हजार(पहले 30 हजार का बयान था), माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से 27 हजार व उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग से 17 हजार का विज्ञापन का प्रस्ताव मात्र है, इसी तरह के प्रस्ताव 52 हजार पुलिस भर्ती, 97 हजार प्राथमिक शिक्षक भर्ती, तकनीकी शिक्षण संस्थानों से लेकर तमाम भर्तियों के अरसे से लंबित हैं। प्रदेश में स्थिति यह है कि 5-10 साल पुरानी भर्तियां अधर में हैं। जितने पदों को विज्ञापित किया गया है उन्हें भी भरा नहीं जा रहा है। यहां तक कि बीपीएड के 32 हजार, यूपीपीसीएल में तकनीशियन के विज्ञापन को ही रद्द कर दिया गया। इसी तरह कोरोना काल में 181वूमेन हेल्पलाइन, महिला सामाख्या आदि सेवाओं को खत्म कर महिलाओं व अन्य लोगों का रोजगार छीनने का काम किया गया।

सरकारी नौकरी, करोड़ों रोजगार सृजन और विकास के दावों और आंकडों का पर्दाफाश करने के लिए युवा मंच अभियान संचालित कर रहा है, जिससे प्रदेश में बेकारी के गहराते संकट और इसकी भयावहता को जनता के समक्ष लाया जा सके। इसी क्रम में युवा मंच ने 5 लाख रिक्त पदों को भरने, हर युवा को गरिमापूर्ण रोजगार की गारंटी और रोजगार न मिलने तक बेरोजगारी भत्ता देने के सवाल पर ईको गार्डेन, लखनऊ में 9 अगस्त से बेमियादी धरना प्रदर्शन शुरू करने का निर्णय लिया है। रोजगार आंदोलन और युवा मंच से जो भी जुड़ने के इच्छुक हो, हमारे वाट्सएप पर मैसेज कर सकते हैं। इसके अलावा आप आंदोलन में आगे बढ़ाने के लिए अपने सुझाव भी भेज सकते हैं।