लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि योगी सरकार लॉकडाउन/कोरोना कर्फ्यू के चलते प्रदेश में पैदा हुई भुखमरी को छुपा रही है। पांच किलो अनाज प्रति यूनिट देने की सरकारी घोषणा भुखमरी को रोकने के लिए नाकाफी साबित हो रही है। बरेली और अलीगढ़ की ताजा घटनाएं ज्वलंत उदाहरण हैं।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि योगी सरकार ने जिस तरह कोरोना की दूसरी लहर से हुई मौतों को छुपाने के लिए हर कोशिश की और आंकड़ों को काफी कम करके दिखाया, उसी तरह कोरोना लॉकडाउन के चलते फैली बेरोजगारी व भुखमरी के आंकड़ों को सामने नहीं आने दे रही है। बरेली और अलीगढ़ की घटनाएं तो महज बानगी हैं।

उन्होंने कहा कि बरेली में चार व छह वर्ष के दो बच्चों के पिता ने लॉकडाउन से नौकरी चले जाने के कारण परिवार के भरण-पोषण में असमर्थ होने पर घर में कुंडे से लटक कर आत्महत्या कर ली और दोनों बच्चे तीन दिन तक असहाय और भूखे रहे। पड़ोसियों को पता तब चला जब बच्चे किसी तरह बंद घर से बाहर आये और खाना मांगा। अलीगढ़ में एक घर में 15 दिनों से भुखमरी से तड़प रहे पांच बच्चों और उनकी मां गुड्डी को लोगों के सहयोग से अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनको बचाने की जद्दोजहद जारी है। मां किसी तरह छोटी-मोटी नौकरी करके खाने का प्रबंध कर रही थी। पिता की मौत पहले ही हो गई थी। लॉकडाउन में नौकरी चली गई तो लोगों से मांगकर वह बच्चों का पेट पाल रही थी, लेकिन यह सहारा भी धीरे-धीरे बंद हो गया।

माले नेता ने कहा कि यह तथ्य है कि कोरोना महामारी में गरीब और गरीब हुए हैं और अमीरी-गरीबी की खाई विस्तारित हुई है। ऐसे में जो भुखमरी फैली है, उसे स्वीकार करने और उससे लड़ने के उपाय करने की जरुरत है, ताकि कोरोना के साथ ही उससे पैदा हुई भुखमरी को भी रोका जा सके और गरीबों की जानें बचाई जा सकें।

कामरेड सुधाकर ने कहा कि इसके लिए जरुरी है कि महज पांच किलो अनाज प्रति यूनिट प्रति माह नहीं, बल्कि राशन किट और नगद राशि सभी गरीबों को सरकार की ओर से महामारी के पूरे समय तक उपलब्ध कराया जाए। इस राशन किट में 15 किलो अनाज, दाल, खाद्य तेल, मसाले व सब्जी जरूर हो। सहायता राशि दस हजार रु प्रति व्यक्ति मिले। इसके अलावा, माले नेता ने बीते अप्रैल-मई में हुई मौतों को कोरोना से मौत मानकर सभी मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की।