• क्रय केंद्रों पर बिचौलियों के माध्यम से कम कीमत पर धान खरीद की जांच कराए सरकार

लखनऊ: हाल में योगी सरकार ने दावा किया है कि इस वर्ष सरकार ने धान की रिकार्ड तोड़ खरीददारी की है। परंतु यह दावा खोखला है क्योंकि धान की अधिकतर खरीद किसानों से सीधे न करके विचौलियों एवं चावल मिलों के माध्यम से कम कीमत पर की गई है। इस तथ्य की पुष्टि एक स्वतंत्र जांच द्वारा की जा सकती है। वास्तव में उत्तर प्रदेश में गेहूं तथा धान की सरकारी खरीद एक बहुत बड़ा घोटाला है। इसमें सरकारी मशीनरी तथा सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियां शामिल रहती हैं। इसमें जब किसान अपना धान अथवा गेहूं लेकर क्रय केंद्र पर जाता है तो किसान से प्रति क्विंटल रिश्वत ली जाती है और उसे न देने पर किसान को कभी गुणवत्ता ठीक न होने, कभी बोरा न होने तथा कभी सेंटर से खरीदी गई गेहूं का उठान न होने का बहाना बना कर परेशान किया जाता है।

बिचौलियों द्वारा किसान से जब कम कीमत पर अनाज खरीदा जाता है तो किसान से उसकी खतौनी तथा बैंक खाता का विवरण भी ले लिया जाता है। फिर वही अनाज जब विचौलियों द्वारा सरकारी क्रय केंद्र पर बेचा जाता है तो किसान के खाते में वजन कम करके एमएसपी रेट पर पैसा डाल दिया जाता है या कभी कभी नकद पैसा भी दे दिया जाता है। इस प्रकार कागज पर एमएसपी पर खरीददारी दिखाई जाती है और सरकार इस आधार पर एमएसपी पर खरीद का दावा करती है जबकि किसान को एमएसपी नहीं मिलता है। यह उत्तर प्रदेश का बहुत बड़ा घोटाला है जिसमे सरकारी मशीनरी तथा सत्ताधारी पार्टी के लोग शामिल रहते हैं। आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट ने इस घोटाले का सत्यापन किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी द्वारा कराने की मांग की है।