कोलकाता: पश्चिम बंगाल में कैलाश विजयवर्गीय और मुकुल राय जैसे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं पर दंगा करने और महामारी अधिनियम का उल्लंघन करने का शुक्रवार को मामला दर्ज किया गया। भाजपा के राज्य सचिवालय मार्च के दौरान बृहस्पतिवार को कोलकाता और हावड़ा की सड़कों पर पार्टी कार्यकर्ताओं की पुलिस के साथ झड़प हुई थी।

एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि पुलिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश भाजपा प्रमुख दिलीप घोष, राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन और सांसद अर्जुन सिंह तथा लॉकेट चटर्जी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। उन पर गैर कानूनी तरीके से एकत्र होने, दंगा करने, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने, आपराधिक तरीके से बाधा डालने और सरकारी सेवकों पर हमला करने तथा आपराध प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। इन नेताओं पर लगाई गई कुछ धाराएं गैर जमानती हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने जांच शुरू कर दी है।”

वहीं, भाजपा नेतृत्व ने आरोप लगाया है कि राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार लोकतांत्रिक आंदोलनों का दमन करने की कोशिश कर रही है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विजयवर्गीय ने कहा कि यह पहला मामला नहीं है जो उनके खिलाफ दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे खिलाफ दर्ज किये गये कुछ मामले बेतुके हैं। यहां तक कि मैं अनाथालय से बच्चों को विदेशों में भेजने का भी आरोपी रहा हूं। इस तरह के मामले (भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष) मुकुल रॉय के खिलाफ भी दर्ज किये गये हैं।”

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि उनके खिलाफ समूचे पश्चिम बंगाल में करीब 50-55 मामले दर्ज किये गये हैं, जिनमें हत्या के मामले भी शामिल हैं, जबकि अर्जुन सिंह के खिलाफ 100 से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं। उन्होंने दावा किया, ‘‘झूठे मामले दर्ज करने की यह साजिश (मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी की पुलिस की पुरानी रणनीति है।” विजयवर्गीय ने दावा किया कि राज्य में करीब 115 भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है और पुलिस ने इन हत्याओं को आत्महत्या में तब्दील कर दिया। प्रदेश पार्टी प्रमुख घोष ने पुलिस की कार्रवाई को ‘प्रतिशोधी’ बताया।

अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल की अवज्ञा करते हुए भाजपा ने अपने हजारों कार्यकर्ताओं को बृहस्पतिवार को राज्य सचिवालय मार्च करने के लिये कोलकाता और हावड़ा की सड़कों पर उतारा था। इसके बाद पुलिस कार्रवाई में पार्टी के दर्जनों कार्यकर्ता घायल हो गये। उन्होंने बताया कि भजापा के 100 से अधिक समर्थकों को हिरासत में ले लिया गया और उनके खिलाफ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन करने की कार्रवाई की गई। यह अधिनियम 100 से अधिक लोगों के जमा होने या राजनीतिक रैली में इससे अधिक संख्या में लोगों के शामिल होने पर रोक लगाता है।