मनुवादी और पितृसत्तात्मक विचारधारा से हक की लड़ाई कमजोर नहीं होने देंगे
अधिकारों के लिए साथ चलना होगा : सुभाषिनी अली
लखनऊ
महिलाएं आज भी हिंसा, अशिक्षा, बेरोजगारी और समानता के अधिकार के लिए जूझ रही हैं। सत्ता की मनुवादी और पितृसत्तात्मक विचारधारा से हक के लिए लड़ रही हैं। ये लड़ाई हम कमज़ोर नहीं होने देंगे। इस लड़ाई में देश-प्रदेश की महिलाओं को जोड़कर और आगे बढ़ेंगे।
यह संकल्प आज यहां अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति एडवा उप्र के उद्यान भवन प्रेक्षागृह सप्रू मार्ग में हुए 13वें राज्य सम्मेलन के पहले दिन सुभाषिनी अली, नेहा दीक्षित, मरियम धावले, मधु गर्ग, वंदना मिश्र जैसी नेत्रियों के बीच प्रतिभागियों ने लिये। राज्य सम्मेलन में 15 जिलों की 130 महिलाएं हिस्सेदारी कर रही हैं। दूसरे दिन कल प्रतिनिधियों कस सम्मेलन होगा।
मुख्य अतिथि के तौर पर बदलती पत्रकारिता की चर्चा करते हुए कई मुकदमे झेल रही मैनी लाइफ आफ सईदा एक्स किताब की लेखिका नेहा दीक्षित ने कहा कि खेत, घर, जमीन, बस्ती, यौनिक हिंसा और शिक्षा जैसे सारे मुद्दे महिलाओं से जुड़े हुए हैं, किंतु मीडिया में महिलाओं को बस रसोई तक सीमित कर दिया जाता है। आज की नारी बहुत से बंधनों से मुक्त हो रही है, पर इसे अपनाया या स्वीकार नहीं किया जा रहा। तकनीकी विकास और डिजिटलीकरण के बावजूद ढुलमुल सरकारी नीतियों के कारण महिलाओं को उनके हक नहीं मिल पा रहे। यहां तक कि राशन पाने का अधिकार भी मेहनतकश महिलाओं को डिजिटलीकरण में दुश्वारियों के कारण नहीं मिल पा रहा। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को वेतन नहीं मात्र सहयोग राशि ही मिल रही है। अपनी पुस्तक की नायिका सईदा और रेशमा के संग बादाम छीलने के काम में जुटी महिलाओं की बदहाली और संघर्ष की बात करते हुए उन्होंने कहा कि आज की महिलाएं सशक्त और कामकाजी हैं, जरूरत इस बात की है कि उन्हें सही से और बराबरी के साथ काम करने दिया जाए।
एडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिनी अली ने आज प्रदेश महिलाओं के प्रति अपराधों में अव्वल है। दलितों और महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। स्कूल बंद हो रहे हैं और अभी पांच हज़ार और स्कूल बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। प्रदेश में एक हजार में सबसे ज्यादा 70 नवजात की मृत्युदर प्रदेश में है, जबकि केरल में यह दर मात्र पांच है। यहां प्रसूताओं की मृत्युदर भी बहुत ज्यादा है। सत्ता में बैठी मनुवादी सरकारों का जिक्र करते हुए कहा कि देश अडानी और अम्बानी जैसे कारपोरेट घरानों को सौंपा जा रही है। बिजली के लिये गांवों तक में स्मार्ट मीटर थोपा जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें अफसोस है कि इस प्रदेश में बलात्कारियों को सम्मानित किया जाता है। हाथरस काण्ड में दिवंगत पीड़िता के परिवार के सदस्य को कोर्ट के आदेश के बावजूद नौकरी न दिये जाने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हम मनुवाद स्वीकार नहीं करेंगे। संविधान में दिये अधिकारों के लिए लड़ेंगे। अगर हम आज भी एक दूसरे का हाथ पकड़कर साथ नहीं चलेंगे तो हम पर भी बुलडोज़र चल जाएगा। हर महिला का दर्द हमारा दर्द है। जरूरत है कि हम सबको साथ लेकर अपनी लड़ाई और तेज करें। सम्मेलन का उदघाटन करते हुए महासचित मरियम धावले ने 26 राज्यों में हुए एडवा सम्मेलन के हवाले से कहा कि हर महिला, हर व्यक्ति को अपनी काबलियत के साथ इज्जत के साथ जीने का हक है। हर जगह से संविधान बचाने और अधिकार पाने के लिए आवाजें उठ रही हैं। जो सत्ता में हैं, वे हमे अधिकारों से वंचित कर रहे हैं। हमारी लड़ाई अपने अधिकारों के साथ ही काम की जरूरत,मंहगाई, शिक्षा, पानी, जमीन आदि को लेकर भी है। छात्रवृत्ति, शिक्षा नीति और राशन पाने की नीति बदलने के लिए भी हमें लड़ना होगा। लड़कियों की शिक्षा बंद नहीं होनी चाहिए। समाज के अंदर हिंसा बढ़ने से महिलाओं की जिंदगी असुरक्षित होती जा रही है।
मधु गर्ग के संचालन में चले समारोह में स्वागत भाषण में सामाजिक कार्यकत्री वंदना मिश्र ने लखनवी कला संस्कृति का जिक्र करते हुए शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आनर किलिंग, महिला अपराधों में प्रदेश आगे है। हमें बाहरी नहीं भीतरी जंजीरें भी तोड़नी होंगी। इससे पहले युद्ध, आपदाओं में मृत और अशोक गर्ग जैसे दिवंगत साथियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बुशरा नकवी के गाए हम मेहनतकश जगवालों से….. गीत से प्रारम्भ हुए सम्मेलन में 344 दिनों से अमौसी एयरपोर्ट भूमि अधिग्रहण के खिलाफ धरना दे रही महिलाओं की प्रतिनिधि सुषमा और सीमा यादव और अकबरनगर के लिये लड़ने वाली बुशरा सुमन पाण्डे को सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रो.नदीम हसनैन, प्रो.रमेश दीक्षित, वंदना राय, सरोज कुशवाहा, किरन, सुमन सिंह, सीमा कटियार, नाइश हसन और बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थीं।








