लखनऊ
भाकपा (माले) ने कहा है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के महिलाओं के विरुद्ध अपराध के ताजा आंकड़े उत्तर प्रदेश की खराब कानून व्यवस्था का गवाह हैं। ये आंकड़े प्रदेश की कानून व्यवस्था के चंगा होने के मुख्यमंत्री योगी और आला भाजपा नेताओं के दावों की पोल खोलते हैं।
माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि सोमवार को एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार गुजरे वर्ष देशभर में महिलाओं के विरुद्ध अपराध की दर्ज घटनाओं में यूपी अव्वल रहा है। 56,083 मामले प्रदेश में दर्ज हुए। यही नहीं, गैंगरेप/रेप सहित हत्या की घटनाओं में भी यूपी टॉप पर है। ऐसी 48 घटनाएं हुईं। माले नेता ने कहा कि ये घटनाएं तो रिकॉर्ड पर हैं, मगर महिलाओं के विरुद्ध अपराध के ढेर सारे ऐसे मामले भी होते हैं, जो थानों में दर्ज ही नहीं होते या जिनमें पुलिस वास्तविक अपराध के बजाय कुछ और दिखाना पसंद करती है। हाथरस कांड गवाह है। सीबीआई जांच न होती, तो यूपी पुलिस की थ्योरी से पर्दा न उठता। कुल मिलाकर, यह सूरत-ए-हाल भाजपा सरकार में प्रदेश की कानून व्यवस्था की चिंताजनक तस्वीर प्रस्तुत करता है।
कामरेड सुधाकर ने कहा कि एनसीआरबी के ही आंकड़ों के मुताबिक कोरोना काल और पिछले साल भी दिहाड़ी मजदूरों ने देशभर में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं कीं। गुजरे साल आत्महत्या करने वाला हर चौथा व्यक्ति दिहाड़ी मजदूर था। जाहिरा तौर पर, रोजगार के अवसर छीन जाने और सरकारी इमदाद न पहुंचने के कारण ये आत्महत्याएं हुईं। यह स्थिति मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी कानून बनाने, मनरेगा को और मजबूत बनाने और दिहाड़ी मजदूरों की जीवन सुरक्षा के लिए अलग से आर्थिक पैकेज की व्यवस्था करने की जरुरत को रेखांकित करती है।
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