बगदाद:
शिया धर्मगुरु मुक़्तदा सद्र के राजनीती छोड़ने के एलान ने इराक़ भूचाल ला दिया है. उनके समर्थक विरोध में सड़कों पर उतर आए और प्रतिद्वंद्वी समर्थित समूहों तथा उनके वफादारों के बीच हिंसक झड़पें हुईं जिनमें आठ लोगों के मौत की खबर है.

बगदाद से कई ऐसी फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं जिसमें दिख रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन रिपब्लिकन पैलेस पर कब्जा जमा लिया है और अंदर मौजूद स्वीमिंग पूल तथा अन्य चीजों का धडल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं. बगदाद में हिंसा के बाद इराक में कर्फ्यू लगा दिए गए हैं.

इराक स्थित कुवैती दूतावास ने अपने नागरिकों से इराक तुरंत छोड़ देने को कहा है. कुवैत की राज्य समाचार एजेंसी, कुना ने सोमवार को देर से सूचना दी कि दूतावास ने इराक की यात्रा करने के इच्छुक लोगों से अपनी योजनाओं को स्थगित करने के लिए भी कहा है.

इराक की सेना ने बढ़ते तनाव को शांत करने और झड़पों की आशंका को दूर करने के उद्देश्य से सोमवार को शहर भर में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया. जारी एक बयान के अनुसार, ‘सेना ने धर्मगुरु के समर्थकों से भारी सुरक्षा वाले सरकारी क्षेत्र से तुरंत हटने और संघर्ष या इराकी खून बहने से रोकने के लिए आत्म-संयम का पालन करने का आह्वान किया.’ इस प्रदर्शन से यह आशंका बन हो गई है कि इराक में हिंसा भड़क सकती है जो पहले से ही राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है.

इराक की सरकार में यह गतिरोध तब से आया है जब धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर की पार्टी ने अक्टूबर के संसदीय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीती थीं लेकिन वह बहुमत तक नहीं पहुंच पाए थे. उन्होंने आम सहमति वाली सरकार बनाने के लिए ईरान समर्थित शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया था.

अल-सदर के समर्थक जुलाई में प्रतिद्वंद्वियों को सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद में घुस गए और चार सप्ताह से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं. उनके गुट ने संसद से इस्तीफा भी दे दिया है.

यह पहली बार नहीं है जब अल-सदर ने संन्यास की घोषणा की है. वह इससे पहले भी ऐसी घोषणा कर चुके हैं. कई लोगों ने अल-सदर के इस कदम को वर्तमान गतिरोध के बीच प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ बढ़त हासिल करने का एक और प्रयास करार दिया. हालांकि कुछ ने यह आशंका जतायी है कि इस बार के उनके कदम से देश की स्थिति और बिगड़ सकती है, जो पहले से ही खराब है.