लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में अब स्लैब बदलकर बिजली महंगी करने की तैयारी चल रही है. इसका उपभोक्ता परिषद विरोध कर रहा है. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता फोरम ने आरोप लगाया है कि यह अधिकार केवल नियामक आयोग को है. ऐसे में कंपनियों की तरफ से दिया गया यह प्रस्ताव नियमों के खिलाफ है. परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि विद्युत अधिनियम का कंपनियां उल्लंघन कर रही हैं.

उपभोक्ता परिषद ने मुख्यमंत्री से पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की मांग उठाई है. जिस तरह बिजली दर बढ़ने से रोकने के लिए विदेशी कोयले की खरीद पर प्रतिबंध लगाया गया था. उसी तरह स्लैब परिवर्तन पर भी प्रतिबंध लगाया जाए. इससे बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं होगी. उपभोक्ता परिषद ने बताया कि 21 जून से इस पर सुनवाई होनी है. इसको लेकर हर स्तर पर बहस के लिए पूरी तैयारी की गई है.

इस बार कंपनियों ने बिजली दर बढ़ाने की मांग नहीं की है. मगर, वह चाहती हैं कि स्लैब बदल दिया जाए. इसके चलते कम बिजली जलाने के बाद भी अपने आप बिल ज्यादा आएगा. उदाहरण के लिए अगर एक किलोवाट का कोई उपभोक्ता 150 यूनिट बिजली जलाता है, तो पहले उसका बिल 5.50 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से 825 रुपए और 110 रुपए फिक्स्ड चार्ज मिलाकर 935 रुपए आता था, लेकिन नए स्लैब में उसको 6 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से 960 रुपए देने होंगे।