नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के चलते देशव्यापी लॉकडाउन से भारत की बेरोजगारी दर 27 फ़ीसदी से भी अधिक हो गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 3 मई को खत्म सप्ताह में भारत की बेरोजगारी दर 27.11 फ़ीसदी दर्ज हुई है। लॉकडाउन से पहले मार्च के मध्य में बेरोजगारी दर सात फ़ीसदी से भी कम थी। सीएमआईई के अनुसार शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर गांव की तुलना में अधिक है। शहरों में यह 29.22 फ़ीसदी और ग्रामीण इलाकों में 26.69 फ़ीसदी दर्ज की गई है। गौरतलब है कि लॉकडाउन के तीसरे चरण में देश को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा गया है। सबसे ज्यादा रेड जोन शहरी इलाकों में ही हैं।

सीएमआईई के अनुसार मार्च में बेरोजगारी दर 8.74 फ़ीसदी और अप्रैल में 23.52 फ़ीसदी रही है। राज्यवार देखें तो अप्रैल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर पुडुचेरी में 75.8 फ़ीसदी रही। इसके बाद तमिलनाडु में 49.8 फ़ीसदी, झारखंड में 47.1 फ़ीसदी, बिहार में 46.6 फ़ीसदी, हरियाणा में 43.2फ़ीसदी, कर्नाटक में 29.8 फ़ीसदी, उत्तर प्रदेश में 21.5 फ़ीसदी और महाराष्ट्र में 20.9 फ़ीसदी दर्ज हुई है। पर्वतीय राज्यों में यह अपेक्षाकृत कम है। उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर 6.5 फ़ीसदी, सिक्किम में 2.3 फ़ीसदी और हिमाचल प्रदेश में 2.2 फ़ीसदी रही है।

कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री ने 25 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी और तभी से विश्लेषक बेरोजगारी दर बढ़ने की आशंका जता रहे हैं। आर्थिक गतिविधियां लगभग बंद होने के चलते दिल्ली और मुंबई समेत सभी महानगरों से प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट रहे हैं। सरकार ने मार्च के आखिरी हफ्ते में 1.7 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी। यह खासकर गरीबों के लिए थी। दूसरे राहत पैकेज पर सरकारी विभागों में 2 हफ्ते से भी ज्यादा समय से विचार चल रहा है।

कोविड-19 के चलते अमेरिका के भी ज्यादातर राज्यों में लॉकडाउन है। इस वजह से वहां भी बेरोजगारी दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। वहां करीब तीन करोड़ लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन किया है। वहां छोटी कंपनियों को वेतन देने में मदद के लिए सरकार ने करीब 360 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की है।