लखनऊ: उत्तर प्रदेश के वामपंथी दलों ने आन लाइन बैठक कर भाजपा पर आरोप लगाया कि वह किसान आंदोलन और कोरोना से निपटने में असफलता और पंचायत चुनावों में बुरी तरह पराजित होने के बाद से 2022 के विधान सभा चुनावों में खोयी ताकत को पुनः हासिल करने के उद्देश्य से सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति को धार देने में जुट गई है। संघ परिवार ने अवांछित, अपवित्र और अमानवीय विभाजन एवं धु्रवीकरण के वास्ते अपने सभी आउटफिट्स को मैदान में उतार दिया है। जहरीली शराब से सौ से अधिक गरीबजनों की मौतों के लिए जिम्मेदार भाजपा ने अपनी जिम्मेदारी से कंधे झटकते हुये जनपद अलीगढ़ के एक गांव में दलितों और अल्पसंख्यकों के बीच के एक मामूली विवाद को इस कदर हवा दी है कि वह आज विभाजन की राजनीति का केन्द्र बनता जा रहा है। थाना टप्पल के गांव नूरपुर में नमाज के वक्त बारात चढ़त को लेकर मामूली विवाद हुआ था, जो शान्त भी हो गया था। पर भाजपा सांसद, विधायकों और कथित हिंदूवादी संगठनों ने उसे मुजफ्फरनगर जैसा ध्रुवीकरण का केन्द्र बनाने में पूरी ताकत झोंक दी है। अस्तित्वविहीन एआईएमआईएम की हरकतों का भी वह लाभ उठा रही है। सभी जानते हैं कि भाजपा धर्मनिरपेक्ष शक्तियों को कमजोर करने को एआईएमआईएम और उसके नेता ओवैसी का बड़ी चतुराई से इस्तेमाल करती रही है। किसान बिरादरी के हाथ से निकल जाने के बाद भाजपा दलितों और अल्पसंख्यकों के बीच विभाजन की लकीरें खींचने में जुट गई है।

वामदलों ने कहा कि जो दल विचार और व्यवहार दोनों से ही दलितों के खून का प्यासा है, वह अपनी घृणित सांप्रदायिक राजनीति के लिए दलितों को ईंधन बना रहा है। इनमें से कोई भी महोबा नहीं गया न किसी ने बयान दिया जहां इन्हीं के समर्थक सामन्तों ने दलित महिला प्रधान को अधिकारियों के समक्ष कुर्सी पर नहीं बैठने दिया और शर्मनाक तरीके से अपमानित किया। भाजपा का दोगलापन कदम कदम पर बेनक़ाब हो रहा है। वामदलों ने आरोप लगाया कि विभाजन को धार देने को तमाम मुद्दे खड़े किये जा रहे हैं। सरकारी गो संरक्षण गृहों में गोवंशों के लिए न चहारदीवारी है न ही उनके खाने पीने और इलाज की व्यवस्था। भूखे प्यासे गोवंश जब चारे पानी की तलाश में निकल कर कहीं दम तोड़ देते हैं तो भाजपा के गोत्रीय संगठन इसे गोहत्या का मामला बना कर पुलिस पर अल्पसंख्यकों को फंसाने को दबाव बनाते हैं। गोशालाओं या व्यापार हेतु ले जाये जा रहे वाहनों को रोक कर जानबूझ कर स्टंट खड़ा करते हैं। अलीगढ़, हाथरस,मथुरा, बुलंदशहर, आगरा, फिरोजाबाद में हाल में ऐसी कई घटनाओं की आड़ में उपद्रव फैलाने की कोशिश की गई। मथुरा में तो लोगों को भड़का कर एक अल्पसंख्यक समुदाय के गो- व्यवसायी की हत्या तक करा दी। इनके भय के चलते किसानों के गौवंश को कोई खरीदने को तैयार नहीं होता और किसानों को मुसीबत उठानी पड़ रही है । नोएडा के रामपुर में व्यवसाईयों के बीच के मामूली विवाद को सांप्रदायिक स्वरूप दिया गया। पुलिस अधिकतर मामलों की सच्चाई जानती है मगर वह दबाव में निर्दोषों के खिलाफ कार्यवाही करने को मजबूर है। बुलन्दशहर में इसी तरह के फर्जी मामले में पुलिस के एक कर्मठ इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या के घाव पुलिस के दिलों में ताजा हैं।

वामदलों ने कहा कि भाजपा और संघ की इन करतूतों पर लगाम न लगायी गयी और धर्मनिरपेक्ष दलों ने समयोचित सार्थक कदम नहीं उठाये तो वोट की राजनीति के लिये भाजपा उत्तर प्रदेश की जनता को विभाजन और अशांति की आग में फिर से झौंकने में कामयाब हो सकती है। इससे शांति और भाईचारे की हानि तो होगी ही, लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों को बड़ा धक्का पहुंचेगा। अतएव समय रहते सभी को सचेत हो जाना चाहिये।

आनलाइन हुई वामदलों की इस बैठक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डा. गिरीश, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ( माक्र्सवादी ) के राज्य सचिव डा. हीरालाल यादव, भाकपा माले के राज्य सचिव का. सुधाकर यादव, फारबर्ड ब्लाक के राज्य संयोजक अभिनव कुशवाह एवं मित्र दल- लोकतांत्रिक जनतादल के प्रदेश अध्यक्ष जुबैर अहमद कुरैशी शामिल थे।.