नई दिल्लीः कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल कुछ ने मंगलवार को कहा कि उन्हें विरोधी नहीं समझा जाए और उनको पार्टी नेतृत्व पर पूरा भरोसा है।

कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की हंगामेदार और मैराथन बैठक के एक दिन बाद इन नेताओं ने यह भी कहा कि पत्र लिखने का मकसद कभी भी सोनिया गांधी या राहुल गांधी के नेतृत्व पर अविश्वास जताना नहीं था और अब सोनिया गांधी जो भी फैसला करेंगी, उन्हें मंजूर होगा। पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह किसी पद के लिए नहीं, बल्कि देश के लिए है जो उनके लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘यह पद के लिए नहीं है। यह मेरे देश के लिए है, जो सबसे ज्यादा महत्व रखता है।’’

गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिब्बल ने यह टिप्पणी उस वक्त की है कि जब एक दिन पहले ही कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी की एक कथित टिप्पणी और फिर उन पर सिब्बल की तरफ से निशाना साधे जाने के बाद विवाद हो गया था। बाद में सिब्बल ने कहा कि खुद राहुल गांधी ने उन्हें सूचित किया कि उनके हवाले से जो कहा गया है वो सही नहीं हैं और ऐसे में वह अपना पहले का ट्वीट वापस लेते हैं।

पत्र लिखने वाले नेताओं में शामिल राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने ट्वीट किया, ‘‘हम विरोधी नहीं हैं, बल्कि पार्टी को फिर से मजबूत करने के पैरोकार हैं। यह पत्र नेतृत्व को चुनौती देना नहीं था, बल्कि पार्टी को मजबूत करने के उद्देश्य से कदम उठाने के लिए था। चाहे अदालत हो या फिर सार्वजनिक मामले हों, उनमें सत्य ही सर्वश्रेष्ठ कवच होता है। इतिहास बुजदिल को नहीं, बहादुर को स्वीकारता है।’’

इनके इस ट्वीट के जवाब में कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने कहा कि इस पत्र को अपराध के तौर पर देखने वालों को आज नहीं तो कल, इसका अहसास जरूर होगा कि पत्र में उठाए गए मुद्दे विचार योग्य हैं। वासनिक ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। दूसरी तरफ, इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले एक अन्य नेता ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सीडब्ल्यूसी की बैठक में जो नतीजा निकला, उससे हम संतुष्ट हैं। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कई नेता सीडब्ल्यूसी की बैठक में मौजूद थे और सबने प्रस्ताव पर सहमति जताई। ’’