लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में 135 शिक्षकों की मौत पर एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार को “या तो मेरी चलेगी या किसी की नहीं वाला रवैया छोड़ना होगा। कोर्ट ने कहा कि सरकार को दूसरों की राय को भी अहमियत देनी होगी। कोर्ट ने शिक्षकों की मौत पर योगी सरकार से जवाब तलब किया है।

गाइड लाइन का पालन कराने में नाकाम
कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग और पुलिस, दोनों पंचायत चुनाव में गाइड लाइन का पालन कराने में नाकाम रहे हैं। चुनाव आयोग अदालत में हाजिर होकर इसका जवाब दे। अगर अगले मतदान में ऐसा फिर हुआ तो जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होगी। अदालत का कहना था कि सरकार केवल अपने बारे में सोच रही है। उसे आम लोगों की कोई फिक्र नहीं है।

बड़ी बड़ी बातें कर रही है सरकार
योगी सरकार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि ऑक्सिजन, दवा और बेड सबकी किल्लत है। नकली इंजेक्शन बिकने की खबरें छप रही हैं और कई व्यापारी आपदा में नोट कमा रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार आराम से बैठकर बड़ी-बड़ी बातें करने में लगी है। आम जन की तरफ सरकार का कोई ध्यान ही नहीं जा रहा। लोग इलाज के बगैर मर रहे हैं। उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही है।

सही आंकड़े पेश करने की हिदायत
अदालत ने आदेश दिया कि सरकार कोविड से हुई मौतों के आंकड़े हर जिले में जिला जज के चुने गए ज्यूडिशियल अफसर को दे और सही आंकड़े पेश करे। कोर्ट ने कहा कि लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, कानपुर, मेरठ, नोएडा, गोरखपुर और झांसी में हर लेवल के अस्पतालों, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर और दवाओं के स्टॉक के बारे में बताएं। 2 मई को अगली सुनवाई की जाएगी।

लापरवाह सरकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह सच है कि कोरोना के मामलों में कमी आने पर सरकार इससे बेपरवाह हो गई। पंचायत चुनाव जैसे दूसरे कामों में लग गई। अगर वक्त रहते इंतजाम किया होता तो वह इससे बचने को तैयार होती। गौरतलब है कि सरकार और हाईकोर्ट के बीच टकराव कुछ अर्से से चल रहा है। कोर्ट ने पांच शहरों में लॉकडाउन लगाने को कहा था, लेकिन योगी सरकार ने इससे इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट जाकर फैसले पर रोक लगवा दी।