लखनऊ: केन्द्रीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य तथा आउट रीच एण्ड को-आर्डिनेशन कमेटी, उत्तर प्रदेश के प्रभारी प्रमोद तिवारी ने कहा है कि अब तो ये पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि ‘‘भा.ज.पा. सरकार भ्रष्ट है’’ । राफेल युद्धक विमान सौदे की जांच केन्द्र सरकार द्वारा जे.पी.सी. (संयुक्त संसदीय समिति) से कराने से इंकार करना, तथा सर्वोच्च न्यायालय में राफेल विमान की कीमत न बताकर एफीडेविट न देना बल्कि बन्द लिफाफा देना, और आज जब ‘‘राज’’ उजागर हो गया है कि राफेल युद्धक विमान जो भारत को बेंचा गया है उस सौदे में गंभीर गड़बड़ियां हुई है, इसका खुलासा करने वाली फ्रांस की मीडिया न्यूज वेबसाइट ‘‘मीडिया पार्ट’’ के मुताबिक इस प्रकरण की न्यायिक जांच अदालत करेगी।

प्रमोद तिवारी ने कहा है कि यह ‘‘अजब- गजब खेल है’’ कि राफेल युद्धक विमान सौदे में 526 करोड़ का एक विमान 1670 करोड़ में खरीदने वाला देश चुप है और इस सौदे में ज्यादा पैसा कमाने देश फ्रांस इसकी न्यायिक जांच करा रहा है कि एक राफेल विमान 1670 करोड़ में क्यों बेंचा गया ? इसकी जांच अदालत करेगी।

जिसने देश की जनता की गाढ़ी- कमाई लुटाई और एक राफेल विमान की ‘‘तीन गुना’’ अधिक कीमत चुकाई वह इसकी जांच कराने से डर रहा है और लोक सभा तथा राज्य सभा में दोनों जगह भा.ज.पा. की बहुमत है इसके बावजूद भी जे.पी.सी.(संयुक्त संसदीय समिति) से जांच कराने से मोदी सरकार क्यों हिचक रही है ?

श्री तिवारी ने कहा है कि अब तो यह राज, राज नही रहा बल्कि पूरी दुनिया के सामने आ गया है, अरब सहित दुनिया के कई देशों ने राफेल विमान को कहीं कम कीमत पर खरीदा है । कहां है मोदी जी का वह दावा कि ‘‘ न खाऊंगा, न खाने दूंगा ’’ यह छोटा नहीं बल्कि बहुत बड़ा घोटाला है ।

एच.ए.एल., जिसे युद्धक विमान बनाने का पूरा अनुभव है, उसे काम न देकर अनिल अंबानी को इसका सौदा दिया गया जिनके पास विमान तो छोड़िये कार और साइकिल बनाने का भी अनुभव नहीं है, उनके पास ऐसा कोई कारखाना नहीं था – सिर्फ इसी सौदे के लिये जमीन ली और कम्पनी बनायी और इसी कम्पनी से सत्तारूढ़ दल की मदद की। अब शेष क्या बचा है ? सब कुछ तो सामने आ गया है, हम तो मात्र इस राफेल युद्धक विमान सौदे की जांच की मांग कर रहे हैं ।

भारतीय जनतापार्टी, जो सर्वोच्च न्यायालय की आड़ में बचना चाहती है, वहां राफेल विमान की कीमत तो बहस का मुद्दा ही नहीं था, प्रकरण यह है कि 526 करोड़ का राफेल विमान 1670 करोड़ में क्यों खरीदा गया ? उसकी सच्चाई देश के सामने आनी चाहिए । जहां तो सवाल राफेल युद्धक विमान की क्षमता का है, तो उसे तो कांगे्रस की यू.पी.ए. सरकार ने पहले ही स्वीकार कर लिया था और तभी तो राफेल युद्धक विमान को खरीदने का यू.पी.ए. सरकार ने निर्णय लिया था । सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय इसे सही ठहराता है- प्रकरण क्वालिटी का नहीं बल्कि ‘‘उसकी कीमत का’’ है ।

श्री तिवारी ने कहा है कि इस प्रकरण में भारतीय जनतापार्टी क्या छिपाना चाहती है ? यही भारतीय जनतापार्टी थी जिसने बोफोर्स प्रकरण में संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की थी और एक महीने तक संसद नहीं चलने दी थी । वही भारतीय जनतापार्टी अब चुप क्यों है ? उसकी सरकार राफेल युद्धक विमान घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति से क्यों नहीं करा रही है ?