लखनऊ
भाकपा (माले) ने इटावा में गैर-ब्राह्मण कथावाचकों के उत्पीड़न की निंदा की है। पार्टी ने कहा है कि दोहरे उत्पीड़न के पीछे सत्ता का शह और समर्थन है।

भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि घटना में न्याय करना तो दूर, भुक्तभोगी के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। इसके पूर्व कथावाचकों के साथ अमानवीय, मध्ययुगीन व बर्बर व्यवहार किया गया। हमलावर प्रभुत्वशाली समुदाय के सामंती लोग हैं, जिन्होंने जाति पूछ कर हमला किया।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार इन जातिवादी उत्पीड़कों पर कठोर कार्रवाई करने की जगह उनका पक्षपोषण कर रही है, क्योंकि वह मनुवादी समाज बनाना चाहती है। एक ऐसा समाज जो संविधान के बजाय मनुस्मृति से संचालित हो। यह संघ की विचारधारा के अनुकूल है, जो ब्राम्हणवाद और वर्ण व्यवस्था का समर्थक है।

माले नेता ने कहा कि संघ-भाजपा जातिवाद मिटाने की निरी बयानबाजी करते हैं, जबकि वे जानते हैं कि यदि वास्तव में ऐसा हो गया, तो वे खुद मिट जाएंगे। उनका डॉ. अंबेडकर के आदर्शों के प्रति समर्थन महज दिखावा है, वोट लेने का जरिया है। अंबेडकर लिखित संविधान लागू होने की शुरुआत से ही संघ इसके खिलाफ रहा है, क्योंकि इसमें समतामूलक लोकतांत्रिक भारत बनाने की बात कही गई है। जबकि संघ-भाजपा हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं, जिसके मूल में ही जातिवाद और वर्ण व्यवस्था है। इटावा जैसी घटनाओं में न्याय के बजाय वर्चस्ववादी शक्तियों के पक्ष में खड़ा होना इनकी विचारधारा के अनुरुप है।

माले राज्य सचिव ने उक्त घटना में हमलावरों को गिरफ्तार कर कठोर सजा और पीड़ितों को न्याय देने की मांग की।