इस्लामाबाद:पाकिस्तान में पाकिस्तान उलेमा काउंसिल (Pakistan Ulema Council) ने इस्लामाबाद में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण का समर्थन करते हुए इस मुद्दे को लेकर उठे विवाद की निंदा की है। शनिवार को पाकिस्तानी मीडिया ने यह जानकारी दी है।

पीयूसी का समर्थन
पाकिस्तानी समाचार पत्र ‘डॉन’ के अनुसार पाकिस्तान उलेमा काउंसिल (PUC) ने कहा है कि पाकिस्तान का संविधान देश में रह रहे मुसलमानों और गैर-मुस्लिमों के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है। कई इस्लामी धर्मगुरू और विभिन्न इस्लामी परंपराओं के कानूनविद इस समूह के सदस्य हैं।

विवाद पैदा करने की निंदा
पीयूसी के अध्यक्ष हाफिज मोहम्मद ताहिर महमूद अशरफी (Tahir Mahmood Asharfi) ने शुक्रवार को कहा, ”हम मंदिर निर्माण को लेकर उठे विवाद की निंदा करते हैं। रूढ़िवादी धर्मगुरूओं द्वारा इसे विवाद बनाना ठीक नहीं है। पीयूसी एक बैठक बुलाएगी और इस्लामी विचारधारा परिषद के सामने अपनी बात भी रखेगी।” सीआईआई (CII) एक संवैधानिक निकाय है जिसका काम पाकिस्तान सरकार को इस्लामी मुद्दों पर कानूनी सलाह देना है।

सरकारी अनुदान पर उठा सवाल
पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने कुछ मुस्लिम समूहों के विरोध के बीच राजधानी में मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा अनुदान दिये जाने पर सीआईआई (CII) को पत्र लिखकर उसकी राय मांगी है। धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक कादरी ने बुधवार को कहा था कि मंदिर के निर्माण को लेकर कोई समस्या नहीं है, लेकिन असली मुद्दा यह है कि क्या इसे जनता के पैसे से बनाया जा सकता है।

सरकार ने किये 10 करोड़ रुपये मंज़ूर
सरकार ने कृष्ण मंदिर के निर्माण के लिये 10 करोड़ रुपये के अनुदान को मंजूरी दी है। इसका निर्माण राजधानी के एच-9 प्रशासनिक खंड में 20,000 वर्ग फुट के भूखंड पर किया जाना है।