लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि सीएम योगी के शासन में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाना आम बात हो गई है।

पार्टी के प्रदेश सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि बाराबंकी की रामसनेही घाट तहसील में दशकों पुरानी मस्जिद को प्रशासन द्वारा हाल ही में तोड़ दिया गया। ताजा घटना गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर जिसके महंत स्वयं मुख्यमंत्री हैं, के पास स्थित पुश्तैनी घरों में दशकों और सदियों से अपने परिवार के साथ रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों का मामला है। इन परिवारों को मंदिर की सुरक्षा बढ़ाने के नाम पर बेदखल किए जाने के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि यह हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक वर्ग में पहले ही रिपोर्ट की जा चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी लिखित रूप में परिवारों की सहमति लेने के लिए उनके घरों का दौरा कर रहे हैं।

भाकपा-माले नेता ने कहा कि उनकी अपनी पार्टी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, परिवार डरे हुए हैं और खुले तौर पर यह स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि प्रशासन द्वारा उन्हें ऐसी ‘सहमति’ देने के लिए कहा जा रहा है। ये परिवार सीएम से अपने गृहनगर के दौरे पर आने पर अपील करने की योजना बना रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनकी शिकायतों पर ध्यान दिया जाएगा। किसी भी कानूनी आदेश के बिना इस कदम से लगभग एक दर्जन परिवारों के प्रभावित होने का अनुमान है।

कॉमरेड सुधाकर ने कहा कि प्रशासन परिवारों पर सहमति फॉर्म पर उनके हस्ताक्षर के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। उन्होंने पूछा कि दशकों और सैकड़ों वर्षों से इसके आसपास रहने के बावजूद इन परिवारों को मंदिर परिसर के लिए खतरे के रूप में क्यों देखा जा रहा है? ऐसा इसलिए कि वे अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, उन्होंने पूछा। उन्होंने परिवारों को विस्थापित करने के कदम को तत्काल रोकने की मांग की।

उन्होंने कहा कि पिछले महीने उन्नाव जिले में अल्पसंख्यक समुदाय के एक सब्जी विक्रेता को पुलिस ने पीट-पीट कर मार डाला और मुरादाबाद में उसी समुदाय के एक मांस विक्रेता को भगवा लोगों के एक समूह द्वारा शारीरिक प्रताड़ना और पुलिस अत्याचार का शिकार बनाया गया।