टीम इंस्टेंटखबर
चुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियों द्वारा ‘मुफ्त उपहार ‘ देने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने इसे लेकर चार हफ्ते में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के मुफ्त उपहार देने से वादे पर चिंता जताई है.
CJI एनवी रमना ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है, इसमें कोई संदेह नहीं है. मुफ्त बजट नियमित बजट से परे जा रहा है. कई बार सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि यह एक समान खेल का मैदान नहीं है. पार्टियां चुनाव जीतने के लिए और अधिक वादे करती हैं. सीमित दायरे में हमने चुनाव आयोग को दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने हमारे निर्देशों के बाद केवल एक बैठक की. उन्होंने राजनीतिक दलों से विचार मांगे और उसके बाद मुझे नहीं पता कि क्या हुआ.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि उन्होंने सिर्फ कुछ पार्टियों को ही शामिल क्यों किया है. याचिकाकर्ता की ओर से विकास सिंह ने कहा कि वो बाकी पार्टियों को भी शामिल करेंगे.
दरअसल, राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को रिझाने के लिए सार्वजनिक कोष से मुफ्त ‘उपहारों’ के वादे का वितरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में चुनाव आयोग को ऐसे राजनीतिक दलों का चुनाव चिन्ह को जब्त करने और पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है. कहा गया है कि मुफ्त ‘उपहारों’ को घूस माना जाना चाहिए.
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